(भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), नई दिल्ली के एक छात्र को 60 रुपए में जीवन यापन करते हुए एक विकास पत्रकारिता की स्टोरी करने का टास्क दिया गया।)
विकास धर द्विवेदी
हिंदी पत्रकारिता 2021-22, (IIMC)
यात्रा करने का दिनाँक – 14 अप्रैल 2022
स्थान – आरके पुरम से यमुना बैंक के आस पास एरिया में, नई दिल्ली।
उसी के सिलसिले में; मैं आज सुबह 10 बजे तैयार होकर आरके पुरम सेक्टर 3 के बस स्टॉप पर पहुँच गया। इससे पहले बेर सराय में गुड्डू चाय वाले के यहाँ कटिंग चाय पी, 7 रुपए की थी। क्योंकि बड़ी चाय महँगी होती हैं। पोहा खाने का मन था, लेकिन ज्यादा पैसे नहीं थे।
अब बस का इंतजार चल रहा था। बस मिल गई, हम लोगों को जाना था, लक्ष्मी नगर फिर यमुना बैंक। मेरे साथ हिंदी पत्रकारिता की ही साथी नेहा सिंह और रोहित अग्रवाल जी थे। हम लगभग 12 बजे तक लक्ष्मी नगर पहुँचे। धूप के मारे हाल बेहाल था ही, भूख भी लग रही थी। 25 रुपए में 2 आलू के पराठा और उसके साथ मटर की सब्जी, एक रेहड़ी वाले की दुकान पर खाई।
पेट भरा तो कोल्ड ड्रिंक पीने की इच्छा हुई, लेकिन ज्यादा पैसे थे नहीं। तो पानी पीकर मन को ढांढस बंधाया कि ये भी तो ठंडा ही होता हैं। आरके पुरम से लक्ष्मीनगर पहुँचने में 15 रुपए खर्च हो गए। अब तक 7 रुपए की चाय, 25 का खाना, 15 किराया खर्च हो चुका था, टोटल कहें तो 47 रुपए खर्च हो चुके थे। अब 5 रुपए देकर अक्षरधाम मंदिर के लिए बस पकड़ी। 1 बजे तक पहुंच गए।
अक्षरधाम मंदिर से लगभग दो किलोमीटर पैदल चलकर खेल गाँव के फेज 1 में पहुंचे। वहाँ पर कई सारी झुग्गी-झोपड़ी थी, जिसमें कुछ को दिल्ली मेट्रो और नगर निगम के कर्मचारियों ने 2 दिन पहले तोड़-फोड़ डाला था। हमको विकास पत्रकारिता से सबंधित एक अच्छी स्टोरी मिल गई। हमने फ्लाईओवर से गुजर रही विकास की निशानी मेट्रो के नीचे रहने वालें लोगों से बातचीत की। उनकी कई समस्यायों को हमने समझने का प्रयास किया।
स्टोरी लगभग 3 बजे तक हो गई तो हम यमुना घाट की तरफ बढ़े। प्यास फिर लग चुकी थी, इससे पहले हमने एक झुग्गी झोपड़ी के घर पर ही पानी पीकर प्यास को बुझाया था। हमने घाट के नजदीक 10 वाला बेल शरबत पिया, अब जान में जान आई। घाट पर पहुंचे, तो एक तरफ कुछ लड़के ताश खेल रहें थे, तो दूसरी तरफ नितिन मुकेश नाम के एक सभ्य सज्जन झुग्गी झोपड़ियों के लगभग दो दर्जन से अधिक बच्चों को पढ़ा रहे थे। उधर यमुना की मैली धार आगे बढ़ रही थी।
लगभग 4 बज गए थे, विकास पत्रकारिता की स्टोरी भी हो गई थी। अब हम लोग खेल गांव के बस स्टॉप पर पहुंचे, आरके पुरम के लिए आधे घंटे के बाद बस मिल गई। इसमें 15 रुपए किराए में खर्च हुआ। आंकड़ा बजट से ज्यादा हो गया था, अब 47+5 और 10 का बेल शरबत, 15 वापसी का किराया मिलाकर 77 रुपए खर्च हो गए थे। यानी 17 रुपए बजट से ज्यादा। लगभग 6 बजे तक फिर हम जहाँ से चले थे (आरके पुरम) पहुँच गए। इस तरह यात्रा खत्म होती हैं। अलविदा!
खर्चा का हिसाब
1 कटिंग चाय: 07
आरके पुरम से लक्ष्मीनगर का किराया: 15
लंच: 25
लक्ष्मी नगर से अक्षरधाम मंदिर का किराया: 05
बेल का शरबत: 10
खेल गाँव से आरके पुरम: 15
कुल खर्च: 77
बजट: 60
अधिक खर्च; 17
सादर आभार।
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