पूर्व प्रवास भाग-1: गुवाहाटी से वाया डिब्रूगढ़ होते हुए अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश


दिसंबर, 2024:
पूर्व प्रवास का संदर्भ पूर्वोत्तर भारत के रूप में समझा जाना चाहिए। जब हम पूर्वोत्तर भारत की बात करते हैं तो हमें पहला शहर दार्जिलिंग नज़र आता है, जिससे लगता है कि हम इस शहर से आगे बढ़ते हुए पूर्वोत्तर की ओर जा सकते हैं। मेरी पूर्व घूमने की इच्छा बड़े दिनों से थी, मौक़ा मिला तो बढ़ आया पूरब की ओर। 

पूर्वोत्तर इस वजह से भी बड़ा महत्वपूर्ण है क्योंकि 4K का 1K भी इसी क्षेत्र में पड़ता है। गुवाहाटी शहर को पूर्वोत्तर भारत का गेट वे कहा जाता है। ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसा हुआ यह शहर बहुत ही ख़ूबसूरत है, कामाख्या देवी का मंदिर और चाय के बाग़ान इस शहर की शोभा बढ़ा देते है। असम के निचले भाग में स्थित यह शहर अपने-आप में कई सारी ऐतिहासिक विरासत को संजोए हुए हैं। 

गुवाहाटी से ऊपरी असम संभाग का सबसे ख़ूबसूरत शहर डिब्रूगढ़ तक के लिए; मेरी फ़्लाइट थी। फ़्लाइट असम के 35 ज़िलों में से कामरूप, कामरूप महानगर, नगाँव, कार्बी ऑन्गलॉन्ग, गोलाघाट, जोरहाट, शिवसागर और चराईदेव से होते हुए डिब्रूगढ़ पहुँचती है। असम के बिलकुल मध्य में ब्रह्मपुत्र नदी बहती है, जिससे पूरे प्रदेश की ख़ूबसूरती बढ़ जाती है।

असम की अगर कोई दूसरी राजधानी होती तो वो डिब्रूगढ़ ही होती। ऊपरी असम का सबसे महत्वपूर्ण शहर डिब्रूगढ़ है, और इसी शहर में पूर्वोत्तर का महत्वपूर्ण एयरपोर्ट भी है। यहाँ से अब सड़क मार्ग से यात्रा शुरू हुई। ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसे इस क्षेत्र का हर कोना प्रकृति की गोद में बसा हुआ लगता है। डिब्रूगढ़ से निकलते ही चाय के बागानों की हरियाली ने स्वागत किया। सड़क के दोनों ओर फैले ये बागान मानो पूरे रास्ते मुझे अपनी महक और सादगी से भरते रहे।

ब्रह्मपुत्र नदी पार करने के लिए धोला-सदिया पुल से गुजरना इस यात्रा का सबसे रोमांचक अनुभव था। यह पुल न केवल भारत का सबसे लंबा पुल है, बल्कि यह असम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण मार्ग भी है। पुल पर चलते हुए नदी की विराटता और आस-पास का मनोहारी दृश्य मन को शांति और ऊर्जा दोनों से भर रहा था।

धोला से रोइंग तक का सफर और भी दिलचस्प था। रोइंग अरुणाचल प्रदेश के निचली दिबांग घाटी जिले का मुख्यालय है। जैसे ही अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश किया, पहाड़ों और घने जंगलों ने साथ देना शुरू कर दिया। रास्ते में स्थानीय जनजातीय गांवों की झलक ने इस यात्रा को सांस्कृतिक दृष्टि से भी समृद्ध बना दिया। यहाँ के लोग अपनी सरलता और मुस्कान से यात्रियों का स्वागत करते हैं।

रोइंग पहुँचते-पहुँचते शाम हो चुकी थी। यह छोटा सा पहाड़ी शहर हिमालय की तलहटी में बसा हुआ है और अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। वहाँ की ठंडी हवा और आसपास की शांति ने पूरे दिन की थकान को पल भर में दूर कर दिया। डिब्रूगढ़ से रोइंग तक की यह यात्रा केवल एक मार्ग नहीं था, यह प्रकृति और संस्कृति से जुड़ने का एक अनुभव था, जो लंबे समय तक मेरी स्मृतियों में बसा रहेगा। 

इस यात्रा ने मुझे केवल भौगोलिक सीमाओं का विस्तार नहीं दिखाया, बल्कि पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध संस्कृति, जीवंत लोक जीवन और गहरी परंपराओं का अद्भुत अनुभव भी प्रदान किया। यात्रा का यह पहला भाग पूर्वोत्तर की आत्मा को समझने और उसकी सुंदरता में डूबने का आरंभ था।

विकास धर द्विवेदी 
18 दिसंबर 2024

टिप्पणियाँ