देवी-देवताओं के शिल्पकार

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भगवान विश्वकर्मा की आज जयंती है। देशभर में हिंदू-मुस्लिम कामगार एक साथ काम बंद कर हजारों की संख्या में पूजा कर रहे हैं। हिंदू धर्म के विशेषज्ञों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा देवी-देवताओं के शिल्पकार कहे जाते हैं। अस्त्र-शास्त्र व वाहनों का निर्माण विश्वकर्मा ने किया था। भगवान विश्वकर्मा ने द्वारका इंद्रपुरी, पुष्पक विमान और स्वर्ग का निर्माण किया था।  हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा जी के पुत्र धर्म की सातवीं संतान जिनका नाम वास्तु था। 

विश्वकर्मा जी वास्तु के पुत्र थे जो अपने माता-पिता की तरह महान शिल्पकार हुए। इसके अलावा जन्म संबंधित विद्वानों के अलग-अलग मत भी हैं। जैसे कुछ विद्वान अंगिरा पुत्र सुधन्वा को आदि विश्वकर्मा मानते हैं, तो कुछ भुवन पुत्र भौवन विश्वकर्मा को। रावण की लंका हो कृष्ण की द्वारका और पांडवों की राजधानी हस्तिनापुर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था।

भगवान विश्वकर्मा को वास्तु, साधन, औजार,युक्त एवं निर्माण का देवता माना जाता है। कुछ लोग "विश्वकर्मा" शब्द को एक उपाधि भी मानते हैं। भगवान विश्वकर्मा देवताओं की आचार ऋषि माने जाते हैं, जिन्होंने शिल्पशास्त्र की रचना की थी।

समृद्धि के लिए बेहतर युक्त मस्तिक और सृजनात्मक आवश्यक होता ही है। साथ ही नवीन अभियांत्रिकी का भी प्रयोग आवश्यक होता है। परिवार, समाज और देश की समृद्धि को ही दृष्टिगत रखते हुए ही प्राचीन व प्रगतिशील सनातन संस्कृति में विश्वकर्मा पूजा का विधान किया गया है।

इन्हीं सब कारणों से वे सभी कारीगरों व शिल्पियों लिए अत्यंत पूजनीय होते हैं। शिल्प संकायों, कारखानों, उद्योगों, इंजीनियरिंग संस्थानों आदि में प्रत्येक वर्ष उनकी जयंती पर विश्वकर्मा पूजा बड़े ही धूमधाम के साथ आयोजित की जाती है। विश्वकर्मा पूजा के बहाने ही हम अपनी और दूसरों की समृद्धि का हित चिंतन करते हैं और उसमें निरंतर वृद्धि का संकल्प लेते हैं।

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