रात के 1:30 बज रहे थे। अचानक नुक्कड़ पर हलचल तेज हो गई। पता चला एक अवारे कुत्ते की वजह से चारों गलियों में भयंकर तनाव है। ठंडी का मौसम था, कुछ कुत्तों ने खाना खाया था, कुछ ने नहीं। सब घर पर अभी लौटने का आश्वासन देकर आए थे। लेकिन नुक्कड़ के हालात बिगड़ते जा रहे थे। मोहल्ले के सारे बुजुर्ग कुत्ते ने मामले को बातचीत से सुलझाने की कोशिश की। लेकिन युवा कुत्ते की वजह से मामला गरम होता जा रहा था। होनी को कौन टाल सकता है?
हुआ वहीं जिसका डर था, एक गरम मिजाज के कुत्ते ने दूसरी गली के एक बुजुर्ग कुत्ते पर हमला बोल दिया और कान नोच डाले। फिर पहले और दुसरे गली की कुत्तों में जंग शुरु हो गई। अब रात के सन्नाटे में सिर्फ कुत्तों की आवाज सुनाई दे रही थी। वे एक दूसरे पर भौंक रहे थे, एक दूसरे को पटक रहे थे, एक-दूसरे को नोच रहे थे, सब कुत्ते रात के पहले के भाईचारे को भुलाकर लड़ रहे थे। सबका खून गर्म था, ठंड में कांपने के बजाय दहाड़ (भौंक) रहे थे। कुत्तों को भी पहली बार अपनी अंदर इतनी सारी उर्जा का आभास हो रहा था।
पहली गली के कुत्तों की रिश्तेदारी तीसरी गली में होने की वजह से उस गली के कुत्तों ने लड़ाई में समर्थन किया। वही दूसरी गली के कुत्तों को चौथी गली ने सपोर्ट किया। सबसे खास बात थी कि चौथे गली के कुत्तों की ओर से सिर्फ एक कुत्ता प्रतिनिधित्व कर रहा था। जो उस भयंकर तनाव भरे माहौल में भी सामान्य दिख रहा था। शायद नुक्कड़ पर मौजूद तमाम कुत्तों में से वह सर्वाधिक बुद्धिमान था। तीनों गली का औचक निरीक्षण कर बुद्धिमान कुत्ता अपने गली के मोड़ पर बैठ गया। वह वहां हो रही गतिविधियों का परीक्षण कर रहा था।
उधर नुक्कड़ के एक किनारे; एक कुत्ता संवाददाता एक ऊंचे पत्थर पर चढ़कर समाचार सुना रहा था। कह रहा था, "यहां के हालात बहुत गर्म है, कभी भी कुछ भी हो सकता है... कुछ कहा नहीं जा सकता है। हालांकि अब तक मिली रिपोर्टों के अनुसार दो कुत्तों की मौत हो चुकी है, आठ गंभीर रूप से घायल है; घायलों कुत्तों को युद्ध स्थल से निकालकर ले जाया जा रहा है... हालात अभी सामान्य नहीं है। मैं फलां फलां, कैमरामैन तुर्रम खां के साथ... कुत्ता चैनल, घटियागंज से।"
काश कोई इनको समझा पाता कि इन विधवा हो चुकी कुत्तियाओं का देखभाल अब कौन करेगा? मामला यहां वर्चस्व का था। बात ये थी की पहली गली के एक आवारा कुत्ते ने पहले तो दूसरी गली में अवैध रूप से कब्जा करने की कोशिश की, नाकाम रहा तो उपद्रव मचाया। और मामला सुलझाने के लिए नुक्कड़ पर जब बैठक होने लगी, तब उसके एक तोतले भाई ने एक बुजुर्ग पर हमला कर दिया। फिर दूसरी गली के कुत्तों ने पहली व तीसरी गली के कुत्तों को खूब जमकर पीटा हैं। बड़े आश्चर्य की बात है कि पहली व तीसरी गली के कुत्तों की संख्या ज्यादा होने के बावजूद हार का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी और चौथी गली वाले विजयी रहें।
सत्य जीत गया हैं, असत्य हार गया है। हर युद्ध के बाद शांति होती है, वहीं यहां भी हुआ। बहुपछवाद नीति से प्रेरित 15 समझौते हुए। मतलब तमाम पाबंदियां पहली व तीसरी गली के कुत्तों पर लगाई गई। उन्हें में से सबसे प्रमुख था; आवारा कुत्ते और उसके तोतले भाई को देशनिकाला का फ़रमान, नए तरीके से सीमा क्षेत्र का निर्धारण, पीड़ित कुत्तों के लिए विशेष मदद का निर्धारित इत्यादि। अशांति से जायज मांग भी नाजायज हो जाती है। हर हिंसा का दमन स्वभाविक हैं, क्योंकि अंधेरा, अंधेरा ही रहता हैं, उजियारा, उजियारा ही। इसीलिए हमेशा सत्य की विजय होती है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें