स्मरण: अज्ञेय यानि जिसे जाना न जा सके...!


विकास धर, नई दिल्ली। आज ही के दिन सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन जी का जन्म उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला में वर्ष 1911 में  हुआ था। उनका बचपन लखनऊ, कश्मीर, बिहार और मद्रास (चेन्नई) में बीता। स्नातक के बाद परास्नातक जब वे अग्रेजी में कर रहें थे, उस दौरान क्रातिकारी अंदोलन से जुड़े और बम बनाते हुए पकड़े गए।

उनको एक कवि, शैलीकार, कथा-साहित्य को एक महत्वपूर्ण बदलाव देने वाले कथाकार, ललित-निबंधकार, संपादक और एक अध्यापक के रुप में जाना जाता है। प्रयोगवाद और नई कविता को हिंदी साहित्य में प्रतिष्ठित करने में उनकी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अज्ञेय जी ने  जापान की कई हाइकु कविताओं का हिंदी में अनुवाद किया।

एक प्रभावशाली कवि होने के साथ-साथ अज्ञेय जी फोटोग्राफर और एक सत्यान्वेषी पर्यटक भी थे। उन्होंने कविता की एक नई जमीन ही नहीं तैयार की, बल्कि कहानियाँ और उपन्यास भी लिखें। उनका उपन्यास “शेखर: एक जीवनी” सबसे अधिक चर्चित रहा है। 

हिंदी में सप्तक परंपरा की उन्होंने शुरुवात की है, जो काफी चर्चित हुआ। अमेरिका, यूरोप औऱ एशिया के अनेक देशों में अध्यापन, व्याखान और काव्य-पाठ भी अज्ञेय जी ने किया। अज्ञेय के कृतित्व और साहित्यिक योगदान को याद करने पर पन्नें भर जायेंगे, लेकिन उनकी व्याख्या नहीं की जा सकती हैं। 4 अप्रैल, 1987 को उनका निधन हो गया।

- विकास धर

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