दुनियादारी: भारत और इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के संबंधों की एक पड़ताल


नई दिल्ली, 13 जून: 
हाल ही में पैगंबर मुहम्मद पर दो भारतीयों द्वारा की गई टिप्पणियों की वजह से इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने भारत की आलोचना की है। यह कोई नहीं बात नहीं है, ओआईसी ने इसके पूर्व भी कई मामलों पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देता रहा है। वहीं बीते दिनों इसी मामले पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस की प्रतिक्रिया के बारे में पूछा गया था, जिसके जवाब में उनके प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने सोमवार को कहा कि हम सभी धर्मों के प्रति सम्मान और सहिष्णुता के भाव को दृढ़ता से प्रोत्साहित करते हैं। 

क्या है इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC)?

यह संगठन दुनिया भर के मुस्लिम देशों का समूह है। इसमें इसके सदस्य देशों की संख्या 57 है, जिसमें 30 संस्थापक सदस्य देश भी शामिल हैं। इसका गठन सितंबर 1969 में मोरक्को के रबात में हुए ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन में हुआ था। इसका तत्कालीन उद्देश्य वर्ष 1969 में एक 28 वर्षीय ऑस्ट्रेलियाई नागरिक द्वारा येरुशलम के अल-अक्सा मस्जिद में आगजनी की घटना के बाद इस्लामिक मूल्यों को सुरक्षा प्रदान करने का था। 

ओआईसी का मुख्यालय सऊदी अरब के जेद्दाह शहर में है। एक चार्टर के जरिए इस संगठन का संचालन होता है। पहला चार्टर 1972 में और अंतिम चार्टर 2008 में अपनाया गया था। संगठन का दावा है कि सभी सदस्य देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पालन करने के साथ इस्लामी शिक्षाओं और मूल्यों से निर्देशित और प्रेरित विचार को आगे बढ़ाया जाता हैं। 

ओआईसी और भारत 

भारत, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मुस्लिम समुदाय के रहने वालों का देश है। इस लिहाज़ से भारत को वर्ष 1969 में रबात में संस्थापक सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था, लेकिन पाकिस्तान के इशारे पर अपमानजनक तरीके से भारत को बाहर कर दिया गया था। भारत भी धर्म के आधार पर बने इस संगठन का हिस्सा बनने में कोई विशेष रुचि नहीं रखता है। इसके अलावा भारत को एक और आशंका है कि कहीं वो कश्मीर जैसे मुद्दों पर द्विपक्षीय संबंधों के चलते सदस्य देशों के दबाव में न आ जाएँ।

वर्ष 2018 में मेजबान देश बांग्लादेश ने विदेश मंत्रियों के शिखर सम्मेलन के 45वें सत्र में यह सुझाव दिया कि जहाँ दुनिया के 10% से अधिक मुसलमान रहते हैं, इस वजह से भारत को पर्यवेक्षक का दर्जा दिया जाना चाहिए। लेकिन पाकिस्तान के भारी विरोध के कारण ऐसा भी न हो सका। संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे शक्तिशाली सदस्य देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध होने के कारण, भारत अब समूह के किसी भी बयान पर भरोसा करने के लिये आश्वस्त है। 

भारत कश्मीर के मुद्दे पर ओआईसी का कोई दखल स्वीकार करने की मूड में नहीं है। इस बात को भारत ने कई बार रेखांकित करते हुए कहा है कि जम्मू-कश्मीर "भारत का अभिन्न अंग है और यह भारत का आंतरिक मामला है" तथा इस मुद्दे पर OIC को कोई बोलने का अधिकार नहीं है। वर्ष 2019 में भारत ने ओआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक में "गेस्ट ऑफ ऑनर" के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। इस निमंत्रण को भारत की एक कूटनीतिक जीत मानी गई। 

कुल मिला कर भारत ने इस कथित विवादित बयान के मामले पर ओआईसी के बयान को ख़ारिज कर दिया है और कहा कि यह भारत सरकार का विचार नहीं है, बल्कि भारत सभी धर्मों का सम्मान करता हैं। इससे पहले भारत सरकार ने कर्नाटक हिजाब विवाद के बीच सांप्रदायिक सोच रखने के लिये ओआईसी की कड़ी आलोचना की थी।


- विकास धर




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