घुमक्कड़ी: राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय


नई दिल्ली, 19 जून: 
राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय का आधिकारिक नाम राष्ट्रीय हस्तशिल्प और हथकरघा संग्रहालय (National Handicrafts and Handlooms Museum) है। यह भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय के अंतर्गत आता है। नई दिल्ली में यह पुराना किला के सामने भैरों मार्ग पर प्रगति मैदान परिसर में स्थित है। इस संग्रहालय में 35,000 से अधिक दुर्लभ और विशिष्ट शिल्प शामिल है, जिसमें पेंटिंग, कढ़ाई, वस्त्र, मिट्टी, पत्थर और लकड़ी के विभिन्न शिल्पों के प्रारूप है।

हाल में चर्चा
भारत सरकार ने वर्ष 2015 में घोषणा कि कुछ दीर्घाओं को कक्षाओं में परिवर्तित करते हुए, संग्रहालय परिसर में एक हस्तकला (हस्तशिल्प) अकादमी की स्थापना की जाएगी। प्रारंभिक जीर्णोद्धार के दौरान ये आरोप लगाया गया मधुबनी कलाकार गंगा देवी की प्रसिद्ध कलाकृतियों में से एक को नष्ट कर दिया। इसकी खूब आलोचना हुई। हालांकि वर्ष 2019 तक नवीनीकरण कार्य चलता रहा। वही परिसर में जून 2022 में 'लोटा शॉप' का उद्घाटन किया गया है।

रथ महाराष्ट्र

इतिहास क्या है?
अखिल भारतीय हस्तशिल्प बोर्ड (अब यह समाप्त हो चुका है) द्वारा वर्ष 1956 में शिल्प संग्रहालय की स्थापना की गई थी। कमलादेवी चट्टोपाध्याय के प्रयासों से 1950 और 60 के दशक में शुरू होने वाले 30 वर्षों की अवधि में स्थापित किया गया था। 1980 के दशक तक इसके पास पहले से ही एक पर्याप्त संग्रह हो गया था और समय के साथ संग्रहालय की जगह धीरे-धीरे विकसित हो रही थी, जिसका आज वर्तमान स्वरूप देखने को मिलता है। संग्रहालय में मौजूद आर्किटेक्ट चार्ल्स कोरिया द्वारा 1975 और 1990 के बीच डिजाइन की गई एक इमारत में रखे गए है।

गैलरी का एक दृश्य

खास क्यों है? 
यह संग्रहालय लगभग 8 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। आज विश्व के प्रमुख पर्यटन स्थलों में इसकी गणना होती है। विश्व भर के लाखों पर्यटक यहाँ भारत की परम्परागत शिल्प एवं कलाओं को देखने आते है। इस संग्रहालय में भारत की ऐतिहासिक हस्तशिल्प एवं हथकरघा परम्पराओ को प्रदर्शित किया गया है। यहाँ देश के विभिन्न राज्यों की संस्कृति की झलक मिलती है। इसकी लोकप्रियता का आलम यह है कि पूर्व अमेरिकी प्रथम महिला मिशेल ओबामा जैसी प्रमुख हस्तियां भी यहाँ आ चुकी है।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां विदेशी पर्यटक, नियमित आगंतुकों में पर्ल अकादमी, निफ्ट और दिल्ली स्कूल ऑफ आर्ट जैसे डिजाइन कॉलेजों के विद्यार्थी भ्रमण करने आते रहते है। इसी रिपोर्ट के अनुसार यहां हर सप्ताह लगभग 1,000 से 2500 के बीच लोग आते है। यहां पर आने लोग हमारे पूर्वज कैसे रहते थे? उनके जीवन पद्धति से हम क्या सीख सकते है? इन सवालों का जवाब लेकर जाते है।

मधुबनी पेंटिंग का एक चित्र

शिल्प संग्रहालय में विभिन्न दीर्घाओं में भूता मूर्तिकला गैलरी, जनजातीय और लोक कला, अनुष्ठान शिल्प गैलरी, कोर्टली क्राफ्ट और टेक्सटाइल गैलरी का अवलोकन आप कर सकते है। संग्रहालय में ही एक बड़े क्षेत्र में एक ग्राम बसा हुआ गया है। जिसमें भारत के विभिन्न राज्यों के गाँवों के आवासों, प्रांगणों और तीर्थस्थलों का प्रतिनिधित्व करने वाली 15 संरचनाओं के साथ, दैनिक जीवन की वस्तुओं का प्रदर्शन किया गया है। आप इसको भी देख और घूम सकते है।

गैलरी के अंदर का एक दृश्य


क्यों और कैसे जाएँ? 
अगर आप को भारत के जनजातीय परिवेश से लेकर आधुनिक शिल्पों को समझने की एक ललक है तो जरूर जाना जाइए। हमें यहां  अपने इतिहास में फिर से झांकने का मौका मिलता है। आप यहाँ अपने गाड़ी से या निकटतम प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन के जरिए पहुँच सकते हैं। टिकट के लिए भारतीय नागरिक को 20 रुपए और विदेशी नागरिक को 300 रुपए अदा करने पड़ते हैं।

- विकास धर द्विवेदी

टिप्पणियाँ

Vikahdhardrivedi ने कहा…
बहुत खुब...👌👌...