नई दिल्ली, 20 जून:
विश्व के विभिन्न देशों में अग्निपथ जैसी योजना को या तो बाध्यकारी या फिर संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है। भारत में भले इस योजना का विरोध हो रहा हो, लेकिन दुनिया के कई हिस्सों में यह लागू है। दूसरी ओर अग्निपथ योजना को लेकर भारतीय युवाओं में इस बात को लेकर रोष है कि इससे वह चार साल के बाद बेरोजगार हो जाएंगे और आगे उनका कोई भविष्य नहीं है। वहीं भारत सरकार कई देशों के उदाहरण पेश कर अपना तर्क स्थापित करने का प्रयास कर रही है।
भारत सरकार की अग्निपथ योजना 'टूर आफ ड्यूटी एंट्री स्कीम' पर आधारित है। इस योजना के अनुसार सैनिकों को एक निश्चित समय के लिए कान्ट्रैक्ट के आधार पर सेना (थलसेना, नवसेना, वायुसेना) में भर्ती होगी। फिर उनकी ट्रेनिंग के बाद युवाओं को अलग-अलग फील्ड में तैनात किया जाएगा। इस योजना के तहत जवानों को उनके चार साल का कार्यकाल समाप्त होने पर 11 लाख रुपए से अधिक एकमुश्त राशि देने का प्रावधान किया गया है। इसका मतलब है कि उन्हें कोई पेंशन नहीं दी जाएगी।
किन-किन देशों में अनिवार्य या संवैधानिक मान्यता प्राप्त सैन्य सेवा लागू
इजरायल: देश में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए ही अनिवार्य सैन्य सेवा जरूरी है। यहाँ पर पुरुषों को ढाई साल और महिलाओं को दो साल सैन्य सेवा देनी होती है। कुछ सैनिकों को अलग-अलग जिम्मेदारियों के तहत अतिरिक्त चार महीने भी रुकना होता है। सिर्फ मेडिकल ग्राउंड पर ही किसी को सेना छोड़ने की अनुमति मिलती है।
रूस: रूस में वर्ष 18 से 27 साल तक के युवाओं अनिवार्य सैन्य सेवा करनी होती है। वर्ष 1980 के बाद से सैन्य सेवा की अवधि दो साल से कम करके 18 महीने कर दिया गया। फिर काफ़ी उठापटक के बाद साल 2007 में भर्ती हुए लोगों को 18 महीने और 2008 में भर्ती हुए लोगों को एक साल ही काम करना था। हालांकि उन डॉक्टरों, टीचरों और उन पुरुषों को छूट है, जिनके तीन साल या उससे छोटे बच्चे होते है।
चीन: चीन में कुछ नए तरीके के नियम है। तकनीकी तौर पर चीन के नागरिकों को मिलिट्री सर्विस करना अनिवार्य है, लेकिन देश में अनिवार्य सैन्य सेवा 1949 के बाद से ही लागू नहीं की गई है, क्योंकि यहाँ के लोग स्वेच्छा से चले आते है। वहीं कंपलसरी मिलिट्री सर्विस के लिए 18-22 साल की उम्र में युवा आते हैं। यह दो वर्ष की सेवा होती है। स्पेशल एडमिनिस्ट्रेशन क्षेत्र, जैसे कि हॉन्ग कॉन्ग और मकाऊ के लोगों को सेना में शामिल होने से छूट दी गई।
ब्राजील: ब्राजील में पुरुषों को 12 महीने तक मिलिट्री सर्विस करनी होती है। यह नियम 18 साल के होते ही लागू हो जाता है। स्वास्थ कारणों के आधार पर छूट मिल सकती है। अगर आप यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं तो सैन्य सेवा टाली जा सकती है, लेकिन इसे रद्द नहीं किया जा सकता। हर युवा पुरुष को ब्राजील की सेना में नौकरी करनी ही होती है।
ईरान: ईरान में भी अनिवार्य सैन्य सेवा लागू है। यहां 18 की उम्र से सेवा शुरू होती है।अगर किसी को शारीरिक या मानसिक रूप से कोई बीमारी या अक्षमता है, तभी उसे छूट हासिल होती है। खराब इलाकों में तैनाती के दौरान सर्विस 22 महीने और सीमा पर तैनाती के समय 20 महीने कर दी जाती है।
नॉर्वे: देश में 19 साल से लेकर 44 साल के नागरिकों को अनिवार्य रूप से अपना योगदान देना होता है। सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करनी होती है।
संयुक्त अरब अमीरात: इस देश में आमतौर पर राष्ट्रीय सेवा (एनएस) के रूप में जाना जाता है। इसमें 17 से 30 वर्ष की आयु के सभी अमीराती पुरुषों के लिए राष्ट्रीय सैन्य सेवा अनिवार्य है। इसकी अवधि 16 महीने की होती है। सितंबर 2014 में संयुक्त अरब अमीरात में राष्ट्रीय सेवा शुरू की गई हैं।
उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया: उत्तर कोरिया में सैन्य सेवा को बाध्यकारी बनाया गया है। पुरुषों को सार्वभौमिक रूप से भर्ती किया जाता है, जबकि महिलाओं को चयनात्मक तरीके से गुजरना पड़ता है। वहीं दक्षिण कोरिया में थोड़ा कम सख्त नियम है। यहाँ 18-28 वर्ष की आयु के बीच सभी सक्षम कोरियाई पुरुषों को लगभग दो वर्षों तक देश की सेना में सेवा करने की आवश्यकता होती है। वहीं देश में पाप सितारों को 30 साल की उम्र तक अपनी सैन्य सेवा में देरी करने की अनुमति दी गई है।
सिंगापुर: देश के संविधान में राष्ट्रीय सेवा (एनएस) अनिवार्य भर्ती और कर्तव्य के रूप में शामिल है। जो प्रत्येक पुरुष नागरिक को 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर करना चाहिए। एनएस को सिंगापुर सशस्त्र बलों (एसएएफ), सिंगापुर नागरिक सुरक्षा बल (एससीडीएफ) या सिंगापुर पुलिस बल में अपनी सेवा देनी होती है।
तुर्की: इस देश में अनिवार्य सैन्य सेवा 20 से 41 वर्ष की आयु के सभी पुरुष नागरिकों पर लागू है। जो लोग अपने सैन्य प्रारूपण से पहले उच्च शिक्षा या व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में लगे हुए हैं, उनकी सेवा को तब तक के लिए स्थगित कर दी जाती लेकिन बाद में सेवा देनी होती हैं।
थाईलैंड: इस देश में वर्ष 1905 में भर्ती शुरू की गई थी। थाईलैंड के संविधान के अनुसार, सशस्त्र बलों में सेवा करना सभी थाई नागरिकों का राष्ट्रीय कर्तव्य है। लेकिन व्यवहारिक रूप में केवल 21 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष जो आरक्षित प्रशिक्षण से नहीं गुजरे हैं, वे भर्ती के अधीन होते है।
- विकास धर द्विवेदी
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