नई दिल्ली, 16 जून:
भारत के साथ आसियान के विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक 16-17 जून को राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित हो रही है। आज बैठक के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्रियों से मुलाकात की है। वहीं विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 10 देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सशक्त, समृद्ध व एकीकृत आसियान के निर्माण के लिए भारत का पूरा समर्थन रहेगा।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि एक बेहतर कनेक्टेड भारत और आसियान विकेंद्रीकृत वैश्वीकरण और लचीले तथा विश्वसनीय आपूर्ति तंत्र को बढ़ावा देने में कामयाब होगा। आपको बता दें कि दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन (आसियान) को इस क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है। इसमें भारत, अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद के भागीदार हैं।
कोरोना महामारी के संबध में बात करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि यह पूरी तरह अब भी खत्म नहीं हुई है। हमें अभी मिलकर लंबा रास्ता तय करना है और महामारी के पश्चात रिकवरी करना है। विदेश मंत्री ने कहा कि भू-राजनीतिक समस्याओं के कारण महामारी से जूझना और कठिन हो गया है। हमें उसका सामना यूक्रेन के घटनाक्रम, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के साथ-साथ उर्वरक और अन्य वस्तुओं की कीमतों तथा रसद आपूर्ति पर प्रभाव से निपटते हुए करना है।
आसियान क्या है?
आसियान (ASEAN) का पूरा नाम Association of Southeast Asian Nations है। यह दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का का एक क्षेत्रीय संगठन है। जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते तनाव से निपटने के लिए बनाया गया है। इसका आदर्श वाक्य ‘वन विजन, वन आइडेंटिटी, वन कम्युनिटी’ है। इसके सदस्य राष्ट्र इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया हैं।
आसियान का जन्म वर्ष 1967 में आसियान घोषणापत्र (बैंकॉक घोषणा) पर संस्थापक राष्ट्रों द्वारा हस्ताक्षर करने के साथ हुआ था। इसके संस्थापक राष्ट्रों में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड शामिल थे। बाकी के सदस्य बाद में जुड़ते चले गए। वहीं 8 अगस्त को आसियान दिवस मनाया जाता है और आसियान का सचिवालय इंडोनेशिया के राजधानी जकार्ता में स्थित है।
भारत और आसियान
भारत के लिए आसियान अति महत्वपूर्ण है। एक तरीके से कह सकते है कि यह भारत की विदेश नीति और एक्ट ईस्ट पॉलिसी की नींव है। भारत के पास जकार्ता में आसियान और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) के लिये एक अलग-अलग मिशन है। भारत और आसियान में पहले से ही 25 साल की डायलॉग पार्टनरशिप, 15 साल की समिट लेवल इंटरेक्शन और 5 साल की स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप चल रही हैं।
आसियान और भारत आर्थिक सहयोग, सामाजिक-सांस्कृतिक सहयोग, निधियाँ (जिसने वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है), दिल्ली घोषणा, दिल्ली संवाद, आसियान-भारत केंद्र (AIC) और राजनीतिक सुरक्षा सहयोग सहित अन्य कार्यक्रम भी एक-दूसरे के साथ साझा आयोजित करते हैं। सबसे खास बात ये है कि बिमस्टेक (BIMSTEC) में भारत के साथ दो सदस्य राष्ट्र दक्षिण-पूर्व एशिया से आते हैं।
बिमस्टेक क्या है?
बिम्सटेक (BIMSTEC) का पूरा नाम बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) है। यह बंगाल की खाड़ी के तटवर्ती और समीपवर्ती क्षेत्रों में स्थित देशों के एकता का प्रतीक है। इसका उद्देश्य सदस्य देशों में आपसी आर्थिक विकास हेतु वातावरण तैयार करना, सामाजिक प्रगति में तेज़ी लाना और क्षेत्र में सामान्य हित के मामलों पर सहयोग देना है।
- विकास धर द्विवेदी
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