दुनियादारी: पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्‍ट में बरकरार, जानिए क्या होता है यह संगठन?


नई दिल्ली, 18 जून: 
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बर्लिन में हुई बैठक में पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' या ‘इन्क्रीज्ड मॉनीटरिंग लिस्ट’ में बरकरार रखने का फैसला लिया गया है। अब पाकिस्तान की तरफ़ से उठाए गए कदमों की पड़ताल के लिए ऑन साइट समीक्षा होगी, फिर ग्रे लिस्‍ट से बाहर करने का कोई विचार किया जायेगा। 

हालांकि FATF ने पाकिस्तान की तरफ से उठाए गए कदमों की प्रशंसा की है। एफएटीएफ से मिली जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान को इस लिस्ट से बाहर निकलने के लिए आतंकी फंडिंग और मनी लांड्रिंग रोकने, आतंकरोधी कानून को मजबूत बनाने, प्रतिबंधित आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने संबंधी 34 कदम उठाने के लिए दिए गए थे। इसके अंतर्गत पाकिस्तान ने पिछले साल सितंबर में हुई बैठक तक 32 मांगों को पूरा किया था। 

पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट से बाहर न निकलने की वजह जैश व लश्कर जैसे आतंकी संगठनों के आतंकियों के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाने जाने को माना जा रहा है। दैनिक जागरण डिजिटल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि पाकिस्‍तान की नई हुकूमत के लिए यह बड़ी कूटनीतिक पराजय है। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान की शहबाज सरकार को यह उम्‍मीद रही होगी कि इस बार उनके देश का नाम ग्रे लिस्‍ट से निकल जाएगा। इस बाबत पाक की नई सरकार ने कूटन‍ीतिक मोर्चे पर भी प्रयास किए। लेकिन सफलता हासिल नहीं  हुई। 

क्या है फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF)?
एफएटीएफ का गठन वर्ष 1989 में जी-7 के देशों की पेरिस में आयोजित बैठक में किया गया था। यह मनी लांड्रिंग, टेरर फंडिंग जैसे मुद्दों पर दुनिया में विधायी और नियामक सुधार लाने के लिये; राजनीतिक इच्छाशक्ति के लिए प्रयासरत रहता है। यह व्यक्तिगत मामलों को नहीं देखता है। इसका मुख्यालय पेरिस स्थित आर्थिक सहयोग विकास संगठन (OECD) के मुख्यालय में ही स्थित हैं। 

इसके उद्देश्य में मनी लॉड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण जैसे खतरों से निपटना और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता की रक्षा करना शामिल हैं। वर्तमान में एफएटीएफ में भारत सहित 39 देश और दो क्षेत्रीय संगठन (यूरोपीय आयोग और खाड़ी सहयोग परिषद) शामिल हैं। आपको बता दें कि भारत वर्ष 2010 में FATF का सदस्य बना था। FATF प्लेनरी, संगठन का निर्णय लेने वाला निकाय है। इसके सत्रों का आयोजन हर वर्ष तीन बार होता है।

FATF की सूचियाँ
इसमें दो सूची शामिल है। पहली ग्रे लिस्ट जिसमें उन देशों को शामिल किया जाता है, जो देश टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का समर्थन करने के लिये सुरक्षित स्थल माने जाते है। पाकिस्तान इसी लिस्ट में शामिल है। इस सूची में शामिल किया जाना; संबंधित देश के लिए एक चेतावनी जैसा माना जाता है कि आपको ब्लैक लिस्ट में शामिल किया जा सकता है। 
 
दूसरी सूची का नाम ब्लैक लिस्ट है। इस सूची में असहयोगी देशों या क्षेत्रों (Non-Cooperative Countries or Territories- NCCTs) के रूप में चिन्हित किए गए देशों को शामिल किया जाता है। ये देश पूरी तरीके से आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों का समर्थन करते हैं। वर्तमान में, ईरान और डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (DPRK) उच्च जोखिम वाले क्षेत्राधिकार या ब्लैक लिस्ट शामिल है। 


क्या होते है इसके मायने?
‘ग्रे’ सूची में शामिल देशों को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और यूरोपीय संघ से वित्तीय सहायता प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है। जिससे संबंधित देश के लिए आर्थिक समस्याएं और बढ़ जाती हैं। और इससे देश की अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था प्रभावित होती है। 

वहीं ब्लैक लिस्ट में शामिल देशों को IMF, ADB, वर्ल्ड बैंक या कोई भी फाइनेंशियल बॉडी आर्थिक मदद नहीं करती है। मल्टी नेशनल कंपनियां कारोबार समेट लेती हैं। इसके अलावा रेटिंग एजेंसीज निगेटिव लिस्ट में डाल देती हैं। भावार्थ ये है कि संबंधित देश की अर्थव्यवस्था तबाही के कगार पर पहुंच जाती है। FATF ने वर्ष 2019 में ईरान और नार्थ कोरिया को ब्लैक लिस्ट किया था। हालांकि इन दोनों सूचियों को FATF समय-समय पर संशोधित करता रहता हैं।

- विकास धर द्विवेदी

टिप्पणियाँ