नई दिल्ली, 17 जून:
अगले महीने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन इजरायल की यात्रा करेंगे। तब I2U2 ग्रुप की आधिकारिक शुरुवात मानी जा रही है। इस ग्रुप का निर्माण अमेरिका, भारत, इजरायल और यूएई मिलकर कर रहे है। यह माना जा रहा है कि इस ग्रुप के निर्माण से मिडिल-ईस्ट में नई इक्वेशन बनेगी। इसके साथ ही स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप भी होगी। पारंपरिक रूप से अमेरिका के इजराइल के साथ वहीं भारत के यूएई और इजराइल से अच्छे रिलेशन रहे है। इस वजह से इसे पश्चिम एशिया का क्वाड माना जा रहा है।
इसको लेकर अगले हफ्ते एक ऑनलाइन मीटिंग भी होने वाली है। इन चारों देशों के बीच ट्रेड, टेक्नोलॉजी, डिफेंस के क्षेत्र में साथ मिलकर काम करने का इरादा है। तेजी के साथ बदलते भू-राजनीतिक परिवेश के बीच इस बार की बैठक में इन चारों देशों के के शीर्ष राजनेता, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, इजरायली पीएम नफ्ताली बेनेट और यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान हिस्सा लेने वाले है। इस वजह से यह बैठक बड़ी अहम मानी जा रही है।
क्या है I2U2
यह संगठन अमेरिका के द्वारा बनाया गया है। जिसमें भारत, इज़रायल, अमेरिका और यूएई शामिल हैं। इस ग्रुप में शामिल 'आई 2' का मतलब है इंडिया और इजरायल से हैं। वहीं 'यू 2' यूएस और यूएई के लिए है। अमरीका के अनुसार, आई2यू2 से तात्पर्य 'इंटरेक्शन इन अंडरस्टैंडिंग द यूनिवर्स' है। आपको बता दें कि इस संगठन में शामिल चारों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक अक्टूबर 2021 में हुई थी। इस दौरान भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हिस्सा लिया था।
भारत और I2U2
वर्ष 2021 में जब विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी, तब इसे इंटरनेशनल फोरम फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन का नाम दिया गया था। भारत की अहमियत के बारे में अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस का कहना है कि भारत एक बड़ा मार्केट है। विशेषकर खाद्यान्न संकट के दौरान जब गेहूं की डिमांड मिडिल ईस्ट में थी, तो उसकी आपूर्ति भारत ने की थी। ऐसे सभी क्षेत्रों में भारत आईटूयूटू के देशों के साथ मिलकर काम करेगा। अमेरिका जहां एक तरफ चाहता है कि ये ग्रुप आर्थिक सहयोग के साथ सुरक्षा सहयोग भी करें, वहीं भारत की तरफ से अभी कोई तस्वीर स्पष्ट नहीं है।
भारत के लिए प्रशांत क्षेत्र में चीनी अतिक्रमण एक बड़ी चुनौती है, जिससे इस समूह के निर्माण से निपटा जा सकता हैं। भारत सैन्य सहयोग में ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेता है। इसी वजह से वह ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के साथ अपने ग्रुप क्वॉड में भी सैन्य सहयोग को नहीं लाना चाहता है। अमेरिका क्वाड को नाटो जैसा बनाना चाहता था, लेकिन भारत ने उसके प्रयासों पर पानी फेर दिया, तो यह संभावना जताई जा रही है कि वह I2U2 में भी सैन्य सहयोग को छोड़कर अन्य सहयोग कार्यक्रम में अपना सहयोग देगा।
भारत ने क्वाड के संबध में कहा कि प्रशांत क्षेत्र के देशों को कोविड -19 टीकों की आपूर्ति करना, उन्हें बुनियादी ढांचे के निर्माण में मदद करना और चीन के प्रभाव में आने से रोककर उनके आर्थिक विकास में मदद करना ही हमारा उद्देश्य होना चाहिए। माना यह जा रहा है कि चारों देश साथ मिलकर हर क्षेत्र में काम कर सकते हैं। चाहे वह तकनीक हो, व्यापार हो, जलवायु हो या कोविड 19 के खिलाफ लड़ाई या फिर और कुछ। ऐसे में यह एक सफ़ल संगठन का उदाहरण बन सकता हैं।
- विकास धर द्विवेदी
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