इन दिनों: राहुल सांकृत्यायन की किताब घुमक्कड़ शास्त्र

इन दिनों राहुल सांकृत्यायन की किताब घुमक्कड़ शास्त्र पढ़ रहा हूँ। जो कि दैनिक समाचार पत्र बिजनेस स्टैंडर्ड में कार्यरत मेरे प्रिय मित्र रावेंद्र सिंह ने दी हैं। घुमक्कड़ी के महापण्डित राहुल जी इस किताब से किसी को घुमक्कड़ नहीं बनाना चाहते है बल्कि जो घुमक्कड़ है, उन्हें निखारना चाहते हैं।

घुमक्कड़ कई प्रकार के होते है। सबसे बड़े वाले प्रथम श्रेणी के, दूसरे द्वितीय श्रेणी के। इसके बाद कर्मवार इसका निर्धारण किया गया है। एक घुमक्कड़ बनने के मार्ग में क्या-क्या बाधा हो सकती है? इस पर सांकृत्यायन ने लिखा है लेकिन मेरे जीवन में अभी तक ये बाधाएँ; सौभाग्य से नहीं आई हैं।

एक घुमक्कड़ के लिय विद्या और वय की बात की है। उनको स्वावलंबन भी होना चाहिए। घूमने का किधर स्कोप है, इस पर वह पिछड़ी जातियों के निवास की तरफ़ इशारा करते हैं, लेकिन वह डगर बड़ी चुनौतियों वाली है, इस बात पर भी प्रकाश डालते हैं। लड़कियाँ भी प्रथम श्रेणी की घुमक्कड़ हो सकती है। इसमें कोई संदेह नहीं हैं।

घुमक्कड़ जीवन के विविध पहलुओं पर वह चर्चा करते है। उन्होंने घुमक्कड़ के कर्तव्य साहित्य रचना पर बात की, जो मुझे बहुत अच्छा लगा। आज यात्रा साहित्य रचना तकनीकी दौर में नए-नए उभरते घुमक्कड़ों के लिए आय का बेहतरीन स्रोत हैं।

- विकास धर द्विवेदी 

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