डायरी से: इंटरनेट उपवास

पिछले दिनों परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल फास्टिंग का मंत्र दिया। वहीं इससे पहले बीते दिनों द कपिल शर्मा शो में मोटिवेशनल स्पीकर गौर गोपाल दास ने इंटरनेट उपवास पर बात की। साल 2019 में लखनऊ की कड़कड़ाती ठंड में मेरा भी 5 दिनों का अनैच्छिक इंटरनेट उपवास रहा है। और उस समय मैंने अपनी रोजाना के डायरी-लेखन में इसके कई सुखद परिणाम नोट किए। 

जिसमें से मैं 5 अंशो को संपादित करते हुए फ़रवरी 2023 में अपने ब्लॉग पर प्रकाशित कर रहा हूँ। इसमें इंटरनेट और मौलिक अधिकार, गैजेट्स उपयोग के दुष्परिणाम, डिजिटल फास्टिंग के फायदे, एग्जाम और इंटरनेट तथा दोस्ती-यारी संग बुजुर्गों की सीख सहित वास्तविक दुनिया के विभिन्न पहलु शामिल हैं। 

इंटरनेट उपवास का पहला दिन 
 (20-12-2019) 

आज सुबह से लखनऊ में इंटरनेट बंद है। सुबह जब मैं उठा तो फोन उठा कर देखा तो ना व्हाट्सएप ना फेसबुक खुल रहा था. मैंने समझा फोन में कोई तकनीकी वायरस की प्रॉब्लम होगी. मैंने फोन को एक बार रीसेट किया. फोन ऑन हुआ, तो एक आशा के साथ उम्मीद की ज्योति जगी. परंतु जैसा सोचा था, सब उल्टा निकला. फोन में फिर वही इंटरनेट प्रॉब्लम थी. तब मुझे एक आइडिया आया, फोन में हो सकता मेमोरी स्टोरेज ज्यादा हो गया हो. इसलिए मैंने फाइव एप्प को अनइंस्टाल किया. मैंने फिर से फेसबुक ऑन करने की कोशिश की परंतु मामला पहले जैसा ही था. मुझे लगा फोन में अब तकनीकी समस्या आ रही है. अभी कितने दिन हुए है मुझे फोन लिए. पापा को मैं कैसे जवाब दूंगा? क्या कहूंगा? इस तरह के सवाल आ ही रहे थे. तभी मुझे एक नोटिफिकेशन दिखा. 

जिसमें अंग्रेजी में बताया गया था कि आपके एरिया में इंटरनेट तत्कालीन प्रभाव से रोक दिया गया है. अगले आदेश तक इंटरनेट बंद रहेगा. क्योंकि आपका क्षेत्र हिंसा प्रभावित है. मुझे चैन की सांस मिली. चलो अच्छा हुआ, फोन तो नहीं खराब है. इसके बाद मैंने एक फ्रेंड को फोन मिलाया, मिल भी गया. उसने मुझे डराने की पूरी कोशिश. कहा- ठंडी का मौसम है. आप लखनऊ में जम्मू कश्मीर वाला मजा लीजिए. मैंने जल्दी से बात खत्म करके फोन काट दिया. मुझे याद आया की जिस हिसाब से लोग तीज/त्योहार में अन्न- जल त्याग कर व्रत रखते है. परिवार में अच्छे माहौल के लिए. उसी हिसाब से हम रखते है दंगा/हिंसा के माहौल में इंटरनेट- मैसेज को त्याग कर. देश में अच्छे माहौल के लिए. हम भारत के वासी है और अपने मन को किसी तरह संतोष तो देना ही पड़ता है. इसलिए रखते हैं इंटरनेट उपवास.

इंटरनेट उपवास का दूसरा दिन 
(21-12-2019)

आज तो हद हो गई, मन उब रहा है. इंटरनेट आज भी ऑन नहीं हुआ है. यू-ट्यूब पर कुछ पुराने डाउनलोड वीडियो पड़े थे. उसको देखकर कल का दिन कट गया, लेकिन आज कैसे इस आदत से छुटकारा पाऊंगा. आज पहली बार मन कर रहा है कि लखनऊ छोड़कर किसी दूसरे शहर की ओर रुख किया जाए. पता नहीं कब इंटरनेट के बैन से आजादी मिलेगी? इंटरनेट को देश के नागरिक के मौलिक आधार में शामिल होना चाहिए? ये भी मेरे मन में आ रहा था. परंतु इन हिंसा करने वालों से कैसे निपटा जाए. ये भी मन में बड़े सवाल के रूप में कौंध रहा था. मुझे लग रहा है, की आज शाम तक इंटरनेट चालू हो जाएगा. चलो इसी भरोसे और आशा के साथ इस दिन का मज़ा लेने की शुरुआत करते हैं.

इंटरनेट उपवास तीसरा दिन 
(22-12-2019)

शनिवार दोपहर पता चला आज शाम 5 बजे तक जिओ का इंटरनेट चालू हो जाएगा. मन में खुशी की लहर उमड़ पड़ी. दोपहर में ही क्यों पता चला? इसका कारण था अन्य टेलीकम्युनकेशंस के नेटवर्क धीरे-धीरे ऑन हो रहे थे. शाम को ठीक 5 बजने से 5 मिनट पहले जिओ का इंटरनेट ऑन हो गया. मन में इतना कौतूहल और खुशी हुई कि मैंने इसकी सूचना देने के लिए एक फ्रेंड को कॉल किया, वो भी सुनकर खुशी से फूले नहीं समा रहा था. 'मेरे फोन में इंटरनेट हो या ना हो मुझे ज्यादा असर नहीं पड़ता है. इसलिए मैंने तत्काल प्रभाव से इंटरनेट यूज करना बेहतर नहीं समझा.' क्योंकि उस समय मैं एक आवश्यक कार्य में बिजी था. उस कार्य से ज्यादा मेरे लिए फेसबुक- व्हाट्सएप मायने नहीं रखता है. अब आपके मन उस कार्य के बारे में जानने की इच्छा होगी. कार्य था, मै चाय पी रहा था. खैर ये तो हुई इंटरनेट की खुशी वाली बात. लेकिन अभी एक बड़ी घटना और बाकी थी. जो शाम को 7 बजे फिर घटी इंटरनेट की दुनिया में. इंटरनेट अचानक 9 बजे से बाद बंद हो गया. फिर से कुछ गायब जैसा लगने लगा. मन मायूस-सा हो गया. रात में ही पता चला, की इंटरनेट डेट 23 तक नाइट 12 बजे तक बंद रहेंगी. फिर इसी तरह हल्का इंटरनेट का पारन करने के बाद इंटरनेट उपवास का तीसरा दिन बीत गया. 

                         उन दिनों की एक तस्वीर


इंटरनेट उपवास का चौथा दिन 
(23-12-2019)

कहते है जो कुछ होता है अच्छा ही होता है. कल नाइट को ही पता चल गया था, नेट 23 तक बंद रहेगा तो उतनी बेचैनी ना थी. इंटरनेट बंद होने रोजाना की तुलना में अधिक पढ़ने का मौका मिला. तभी लग रहा था अच्छा ही हुआ है. पुराने फ्रेंड्स के नंबर देखकर उनका हाल- चाल जानने का मौका मिला. फैमिली के सभी मेंबर से से रोजाना की तुलना में ज्यादा बातचीत होगी. दुश्मनों का हाल चाल लेकर उनका दिल फिर से जलाया जाएगा. बच्चों से बात करके थोड़ी देर बचपन में गुजरेंगे. बुजुर्गो से उनकी जमाने की यादे ताजा की जाएगी. भाई इतने काम करने है तो विदा तो दीजिए. धन्यवाद!


इंटरनेट उपवास का पांचवा दिन 
(24- 12-12)

उम्मीद की किरण आज दिख रही थी. क्योंकि देर रात 12 बजे तक इंटरनेट चालू होने की सूचना मिली है. पर इंटरनेट में वो मजा नहीं रहा जो पिछले सप्ताह हुआ करता था. इधर आज सेमेस्टर एग्जाम का पहला पेपर सेकंड मीटिंग में था. उसकी भी तैयारी चल रही थी. आज कल के हम बच्चे ज्यादा इंटरनेट से ही पढ़ते है, जिससे हमारी जल्दी आंख खराब होने लगती हैं. फिर हम है की मानते नहीं. पेपर का समय है, इसलिए फोन से पढ़ाई करनी थी, सो हो नहीं पाएगी. इसलिए किताबों के पन्ने पलटना होगा. किताबों से मेरा गहरा नाता है. जिस विषय का एग्जाम होता है. वही सब्जेक्ट बोरिंग हो जाता है. पर क्या करे? क्या करें से मुझे याद आया की आज मेरा पेपर है, वो भी पहला. चलो खालिद इरफ़ान जी के इस शेर के साथ और इंटरनेट उपवास के साथ आपसे विदा लेते है.

ख़ालिद-ए-इरफ़ान तेरी क्या ज़रूरत है कि 
जब 'मीर' इंटरनेट पर 'इक़बाल' इंटरनेट पर। 




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