क्लास 5 में गोरखपुर के चौरी चौरा कांड का जब से नाम सुना, तब से गोरखपुर जाने की इच्छा रही थी, सो संपन्न हुई। दुनिया का सबसे लम्बा रेलवे प्लेटफार्म गोरखपुर का है, सो इसको भी घूम कर दिल में शांति हुई। गोरखपुर पूर्वांचल के सभी जिले को जोड़ता है। रेलवे स्टेशन से निकल कर सबसे पहले नेपाल रोड पर स्थित गोरखधाम मंदिर पहुंचे। और खास बात अमित शाह के गृहमंत्री बनते ही मंदिर की सुरक्षा में और बढ़ोतरी की गई है। सो जायज भी है।
मंदिर में मुख्य मंदिर होने के साथ-साथ बजरंगबली, माता रानी आदि के भी मंदिर है। एक बड़े हाल में भगवान शंकर के कई रूपों की मूर्ति स्थापित की गयी है। और एक अन्य महल में वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक के महापुरुषों की प्रतिमा स्थापित है, जिसे देखकर मैं दंग रह गया। यात्रा की सारी थकान मंदिर घूमने के बाद चुटकी में गायब हो गई। लोगों से बात करने पर पता चला कि यहां इमामबाड़ा, रामगढ़ताल और जूट की फैक्ट्री (जो उत्तर प्रदेश में सिर्फ दो है), गीता प्रेस भी मुख्य आकर्षण का केंद्र है।
चौरी चौरा अब एक विधानसभा हो गया है। गोरखनाथ मंदिर से निकलकर हम लोग धर्मशाला चौराहा पहुंचे। इसके बाद पैडलेगंज चौराहा गए। वहां से एक शुभचिंतक के घर गये। दीनदयाल यूनिवर्सिटी में मूर्तियां और अमृता वीथिका भवन में लगे चित्र भी बहुत अच्छे दिखे। कुल मिलाकर बात यह हुई कि गोरखपुर को बहुत करीब से जानने का मौका मिला। और सबसे खास बात जो मैं आपको बताना भूल ही गया, जितने लोगों से मैंने बातचीत की, उसमें में से 70 परसेंट लोग भोजपुरी बोलते हैं। जो मेरे लिए प्रभावकारी रहा। कुल मिला कर मजा आ गया। शाम की ट्रेन थी, तो पैडलेगंज से गोरखपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे, इसके बाद लखनऊ की राह ली।
(इस यात्रा वृत्तांत के सभी शुभचिंतकों का खास कर पारस भैया को तहेदिल से बहुत-बहुत धन्यवाद)
8 जून, 2019
संक्षिप्त यात्रा वृतांत
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