दक्षिण प्रवास भाग- 2: यात्रा में रोमांच, मिचौंग तूफान का ग्रीन सिग्नल

5 दिसंबर, 2023: यात्रा भले ही क्यों न छोटी हो लेकिन उसमें रोमांच होना चाहिए। रोमांच कैसे होगा? उसमें उतार-चढ़ाव, हास्य-विनोद, शांति, सुख-दुख, संकट समाधान और आनंद का सम्मिश्रण होना चाहिए। जिससे यात्रा में एकरूपता खत्म हो और विभिन्न रसों का निष्पादन हो सकें।

नवंबर के आखिरी सप्ताह से ही तमिलनाडु में भारी बारिश की खबरें आने लगी थी। माह के अंतिम दिन मिचौंग तूफान का अलर्ट भी आ गया और दिसंबर के दूसरे दिन पता चला कि तूफान उत्तर की ओर बढ़ रहा है। जिसका मतलब था की उत्तर तमिलनाडु इससे प्रभावित होगा और फिर आंध्र प्रदेश, उड़ीसा। राहत की सांस ली, क्योंकि दक्षिण तमिलनाडु इससे प्रभावित नहीं हो रहा था।  

दक्कन पठार से नागपुर और फ़िर मुनेरु नदी पार करते हुए चंद्रपुर, वारंगल होते हुए विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश में पहुँचे। आंध्र प्रदेश में प्रवेश करते ही प्रदेश आपदा विभाग से एक मैसेज तेलुगु भाषा में मिला था, जिसमें मिचौंग तूफान प्रभावित एरिया बताया गया था और आवश्यक बचाव के सुझाव दिए गए थे। 

                 IMD अलर्ट और मैं (नीचे वाले में) 

सुबह भारतीय मौसम विभाग ने एक चार्ट जारी करते हुए कहा कि विशाखापट्टनम से लेकर चेन्नई तक तूफान प्रभावित क्षेत्र है, और आज मिचौंग तूफान आंध्र के तट से टकराएगा। रेलवे ने इस बात को समझते हुए विजयवाड़ा से चेन्नई रूट के बजाए कृष्णा कैनाल रूट पर ट्रेन डायवर्ट कर दी। जिससे यह तिरुपति होते हुए आगे बढ़ सकें। 

तूफान आंध्र के तट से टकराया भी लेकिन अब उसकी गति में परिवर्तन हुआ और वह धीमी हो गई। यात्रा के दौरान मैंने महसूस किया कि आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर अंदर तक लगातार भारी वर्षा हो रही थी। 

इस भारी वर्षा से हजारों एकड़ फसल जलमग्न हो गई। किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। उत्तर तमिलनाडु के कई जिले इससे काफी प्रभावित हुए है। रूट चेंज होने की वजह से यात्रा का समय तो बढ़ा लेकिन एक तरीके से मिचौंग तूफान से हरी झंडी मिल गई थी। 

                             जलमग्न फसलें

तेलगाना और आंध्र प्रदेश के शहरों में कोई खास अंतर नहीं दिखा। सड़के, बाजार और दुकान उत्तर भारत की तरह ही है। लेकिन यहां की स्लम बस्तियों में एक खास बात नोट करने लायक थी कि वह पक्की ईटों से बने हुए थे, HD की डिश और अधिकांश ऐसो घरों में एसी लगे हुए थे। जिससे आश्चर्य होता है।  

मध्य भारत के बाद तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में रबी फसल का सीजन चल रहा है। रास्ते भर में खेतों को देखने का आनंद मिला। धान, बाजरा, सरसों, नारियल, केला और सब्जियों में हरा साग, मिर्ची (पछ्छा मुर्गा) तथा फूलों की खेती बड़े भू-भाग में देखने को मिली। ख़ास कर गुलाब के फूलों की खेती काफी आकर्षण दिखी।

टिप्पणियाँ

Vikahdhardrivedi ने कहा…
अति सुंदर... सराहनीय कदम...👌👌