6 दिसंबर, 2023: ट्रेन में अगर आप लंबी दूरी का सफर करते हैं तो वहाँ एक मोहल्ले जैसा माहौल हो जाता है। कई परिवार उसमें रहते हैं। कई समूह है, जो एक दूसरे में सामंजस्य बनाते हुए सफर को आरामदायक बनाने की कोशिश करते हैं।
नेपाल से करीब एक दर्जन मजदूर दाल फैक्ट्री में काम करने जा रहे थे। उसमें से दो लड़के रैप सॉन्ग गाते है। उन्होंने हाल ही में DSLR कैमरा से एक रैप सॉन्ग शूट किया है जो काफी अच्छा लगा।
5 दर्जन से अधिक पैरामेडिकल छात्रों का एक समूह एक सेमिनार में शामिल होने के लिए मदुरई जा रहा है। सभी छात्र एक गाजियाबाद के पैरामेडिकल कॉलेज के विद्यार्थी है। कुछ शांति, कुछ उधमी विद्यार्थी है। इनमें हर किसी की एक अपनी कहानी चल रही है।
दो परिवारों का एक समूह और गाजियाबाद के एक चाइल्ड केयर NGO के कुछ सदस्य एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मदुरई जा रहे हैं। NGO के सदस्य ने बताया कि किसी भी आपदा में एक चाइल्ड की शिक्षा रुके नहीं, यह उनकी प्राथमिकता में है। उसी ट्रेनिंग से संबंधित वो लोग मदुरई जा रहे हैं।
इसके अलावा भी ट्रेन में कई कहानियां चल रही है। कन्नौज में रहने वाले राम कृष्ण सक्सेना नागरकोइल में आइसक्रीम की दुकान लगाते हैं। वह साढे़ 5 लोगों के साथ वेटिंग लिस्ट से जा रहे हैं, नागरकोइल में रहते हुए तमिल भी समझने लगे हैं लेकिन कहते है अंग्रेजी का भी ज्ञान होना चाहिए।
इन सब कहानियों के साथ हम धीरे-धीरे देश के अंतिम छोर यानी कन्याकुमारी की तरफ बढ़ रहे थे। तमिलनाडु में भौगोलिक दशाएँ आंध्र प्रदेश जैसी ही है। काली मिट्टी आंध्र प्रदेश में दिखी और यहां भी कुछ मात्रा में है। अंततः नागरकोइल के बाद हम कन्याकुमारी पहुंच गए।
मंजिल पर पहुंचना किसे अच्छा नहीं लगता है? थकान कितनी भी क्यों ना हो? लेकिन गंतव्य पर आकर वह महसूस नहीं होता है। कई संकट-समाधानों के बीच हम भारत के अंतिम छोर पर आ गए है। अंतिम बिंदु पर। जहाँ से महासागर ही महासागरों का संगम तीर्थ सा है।
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