दक्षिण प्रवास भाग- 4: कन्याकुमारी दर्शन-1

07 दिसंबर, 2023: देश के मुख्यभूमि के सबसे दक्षिणतम बिंदु पर आना एक अविस्मरणीय अनुभव है। माना जाता है कि बड़े बुजुर्गों के सिरहाने नहीं चरणों के पास बैठना चाहिए। शायद इसी वजह से (कारण पता नहीं) मैं भारत माता के चरणों के पास पहले आया हूँ। महाभारत में भगवान श्री कृष्ण द्वारा सहयोग के संदर्भ में अर्जुन और दुर्योधन के मध्य इस बाबत एक गहरा उदाहरण है।

सबसे पहले विवेकानन्द रॉक मेमोरियल गए। साल 1892 में स्वामी विवेकानंद जी यहां आए थे। एक दिन वे तैर कर इस विशाल शिला पर पहुंच गए। इस निर्जन स्थान पर साधना के बाद उन्हें जीवन का लक्ष्य एवं लक्ष्य प्राप्ति हेतु मार्ग दर्शन प्राप्त हुआ था। समुद्र की लहरों से घिरी इस शिला तक पहुंचना भी एक अलग अनुभव रहा है। 

भवन का मुख्य द्वार अत्यंत सुंदर है। इसका वास्तुशिल्प अजंता-एलोरा की गुफाओं के प्रस्तर शिल्पों से लिया गया है, ऐसा प्रतीत होता है। लाल रंग के पत्थर से निर्मित स्मारक पर 70 फुट ऊंचा गुंबद है। भवन के अंदर चार फुट से ऊंचे प्लेटफॉर्म पर परिव्राजक संत स्वामी विवेकानंद की प्रभावशाली मूर्ति है।

इसी 6 एकड़ के परिसर में विवेकानंद मंडपम के साथ ही श्रीपाद मंडपम का भी निर्माण किया गया। माना जाता है कि समंदर के पानी में स्थित इस चट्टान पर देवी कन्या कुमारी ने भगवान शिव की आराधना करते हुए तप किया था। उनके पैरों के निशान आज भी यहाँ पाए जाते है। जिसका बड़ा धार्मिक महत्व है।

दक्षिण भारत में कवियों और साहित्यकारों का ऐतिहासिक रूप से बड़ा सम्मान किया जाता है। महान तमिल कवि तिरुवल्लुवर, कंबन जैसे कवि बड़े उदाहरण है। तिरुवल्लुवर जी की रचना 'तिरुक्कुरल रचना' तमिल साहित्य की सबसे महान कृतियों में से एक है। साल 2000 में इनकी प्रतिमा का निर्माण कार्य पूरा हुआ। इसकी ऊंचाई 41 मीटर है, जिसकी पृष्ठभूमि में गहरा नीला आकाश और शानदार समुद्र है। चारों ओर की उठती लहरें उनकी कविताओं के शब्दों की याद दिलाती है। 

खान-पान के मामले में यहाँ उत्तर भारत के भोजन मिल जाते हैं। दक्षिण भारतीय डिश, पंजाबी खाना के अलावा परोटा, सरबत, समुद्री भोजन, कप्पा, केले के पकोड़े समेत कई तरह के व्यंजन, पुत्तु और रस वदाई तरह के अन्य व्यंजनों का स्वाद चखा जा सकता है। लगभग 1 किलोमीटर के दायरे में यह डिश मिल जाएंगे। 

मौसम यहां पर इस समय आमतौर पर गर्म है। दोपहर में हल्की लू के साथ समुद्री हवाएँ चलती रहती है। आमतौर पर यहां इस समय तापमान 15 से 35 डिग्री तक तापमान रहता है। सर्दी की जैकेट आंध्र प्रदेश में प्रवेश करते ही उतर गई थी और लगातार तटीय इलाकों में होने का एहसास होता रहा। 

कन्याकुमारी के बाजार शाम को घूमने लायक है। शाम का दृश्य बड़ा सुहाना लगता है। कन्याकुमारी की मेन रोड पर टहलती हुई दक्षिण भारत की लड़कियाँ/महिलाएँ और सुगंधित फूलों से बना उनका गजरा भारत के ऐतिहासिक संस्कृति से परिचय कराती हुए प्रतीत होती है। उनका सांवला चेहरा, मृदुल मुस्कान प्राकृतिक सुंदरता का उत्तम उदाहरण है। 

कन्याकुमारी बहुत बड़ा नहीं है, करीब 2 किलोमीटर के दायरे में उपरोक्त महत्वपूर्ण प्लेस आते है। छोटी दुकानों, कुछ शॉपिंग मॉल कन्याकुमारी के मेन रोड की शोभा बढ़ाते हुए बहुत ही सुंदर लगते है। कन्याकुमारी पुलिस स्टेशन और बस स्टेशन कन्याकुमारी बीच से 500 मीटर के दायरे में स्थित है। 






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