10 दिसंबर, 2023: '12/7 मस्जिद स्ट्रीट, रामेश्वरम, तमिलनाडु 623526' यह पता उस व्यक्ति के घर का है जिन्होंने अपनी मेहनत, निष्ठा और समर्पण के बल बूते न सिर्फ़ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में अपना नाम रौशन किया है। जो मिशाल है, जिनसे सीखे हमने वचन जिंदगी के। संघर्ष की दास्तान डॉ. अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम। जिन्हें हम प्यार से डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से जानते हैं।
रामेश्वरम के धनुषकोडी गांव में उनका यह घर आता है। दुनिया के मानचित्र पर भारत का नाम रौशन करने वाले कलाम साहब का जन्म यहीं 15 अक्टूबर, 1931 को हुआ था। अध्यापक उन्हें पक्षी उड़ाने के तरीके को बताया करते थे तो बाद में उन्होंने बड़े होकर देश के लिए मिसाइलें ही मिसाइलें उड़ाई।
कलाम के परिवार के कुछ सदस्य आज भी इस घर में रहते हैं। इस छोटे से घर में भारत का विराट व्यक्तित्व वाला लाल पैदा हुआ था। कलाम साहब का बचपन इसी पुश्तैनी घर में रहते हुए बीता, यह घर रामेश्वरम् के प्रसिद्ध शिव मंदिर से महज दस मिनट की दूरी पर स्थित मस्जिदवाली गली में है। वर्तमान में घर के ग्राउंड फ्लोर पर उनके परिवार के सदस्य, फर्स्ट फ्लोर पर म्यूजियम और सेकंड फ्लोर को स्टोर शॉप में बदल दिया गया है।
म्यूजियम में घूम कर, भारत के पूर्व राष्ट्रपति के शून्य से शिखर तक की यात्रा को समझने का अवसर मिला। एक राष्ट्रपति, एक लेखक, एक मोटीवेटर, एक बालक, एक टीचर और न जाने कितने गुणों से परिपूर्ण पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम जी को मेरा कोटि कोटि नमन।
कलाम हाउस दर्शन के बाद हमने रामेश्वरम नगर के अन्य महत्वपूर्ण स्थलों का भ्रमण किया। जिसमें विभीषण मंदिर, राम तीर्थ, राम मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, पंचमुखी हनुमान मंदिर, फ्लोटिंग स्टोन मंदिर, जय हनुमान मंदिर, नटराज मंदिर, श्री नाग नादर मन्दिर और ज़रुका (भगवान राम के पद चिन्ह) प्रमुख रहें। लगभग सभी स्थलों का संबंध कहीं ना कहीं प्रभु राम से था। भ्रमण कर आध्यात्मिक शांति का अनुभव हुआ।
इनमें 'पंचमुखी हनुमान मंदिर: जिसमें हनुमान जी के पांच मुख हैं। और 'फ्लोटिंग स्टोन' यानी पत्थर पानी में डूब नहीं रहे हैं। यह उन्हीं पत्थरों में से एक था। जिसे नल और नील ने समुद्र में राम सेतु निर्माण में प्रयुक्त किया था। ऐसे पत्थर रामसेतु में कहाँ से लाएँ गए? यह भी शोध का विषय होना चाहिए।
रामेश्वरम एक द्वीपीय नगर है। इसे नगर पालिका के रूप में श्रेणीबद्ध किया गया है। ज्यादा बड़ा नहीं है, आसानी के साथ घूमा जा सकता है। मुख्य मंदिर के आसपास शाकाहारी भोजन ही मिलता है, क्योंकि धार्मिक वजहों से तमिलनाडु सरकार ने मांसाहारी भोजन पर रोक लगा रखी है।
सुबह और शाम के समय नगर पैदल घूमने लायक है। बाजार खूबसूरत है, छोटी-बड़ी दुकानों में लगभग हर आवश्यक चीज मिल जाती है। इस समय नगर में शांति ही रहती है क्योंकि भीड़ कम है। सड़कों पर दक्षिण भारत में अधिकांश धार्मिक स्थानों पर सबरीमाला के देशाटन के श्रद्धालुओं को देखा जा सकता हैं।
रामेश्वरम भ्रमण का प्रबंध मति अलग्न्न जी संभाल रहे थे। जिनकी भाषा मधुर और उनके दिल में राम का नाम था। रामेश्वरम दर्शन में हमने महसूस किया कि तन में राम, मन में राम, जन-जन में राम और कण-कण में राम। राम ही राम। जय श्री राम!
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