जुलाई, 2024: चंद्रभागा की गोद में बसा जम्मू-तवी क्षेत्र हिंदू स्थलों के रूप में "मन्दिरों का शहर" नाम से विश्व विख्यात है. 10 ज़िलों में विभाजित अधिकांश क्षेत्र पहाड़ी या पथरीली है; इसमें ही पीर पंजाल रेंज भी आता है जो कश्मीर घाटी को इससे अलग करता है.
राष्ट्रीय राजमार्ग श्रीनगर से, कन्याकुमारी रूट से; मैंने जम्मू शहर में प्रवेश किया. रात का दृश्य कितना ख़ूबसूरत है! लाइटों में जगमगाते घर, दुकान जुगनू जैसे लग रहे थे. सुबह होने वाली थी, सड़कों पर भीड़-भाड़ रही थी. रियासी ज़िले में स्थित माता वैष्णो देवी धाम, जो की कटरा में है. उधर जाने वाले लोग कटरा के लिए निकल रहे थे. मैं भी चल दिया.
कटरा नगर भी अपने आप में ख़ूबसूरत है, सामने त्रिकुटा पर्वत है तो नीचे कटरा बाज़ार. जिसे देख कर मन आनंदित हो जाता है. कटरा से माता वैष्णो देवी भवन की चढ़ाई 14 किलोमीटर है. मैंने शुरू की. बाणगंगा से शुरू हुई पैदल यात्रा में अर्धकुवांरी (गुफा), हाथी मत्था और सांझी छत बीच रास्ते में आते है. अंत में माता रानी की गुफा आती है जहाँ हमेशा चरणगंगा बहती रहती है.
मां वैष्णो देवी की पवित्र गुफा 17 सौ मीटर ऊँचाई पर स्थित है. गुफा के अंत में माता के स्वरूप की प्रतीक तीन पिण्डियाँ रखी हैं; जो क्रमशः महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती देवी के रूप में विराजमान है, ये तीनों देवियां ही मिल कर वैष्णो देवी के रूप में भैरों नामक पापी के दमन हेतु अवतरित हुई थीं. वैष्णों देवी गुफा से कुछ और ऊपर भैरो बाबा का मंदिर है, गुफा की यात्रा तभी पूरी होती है जब यात्री भैरों मंदिर जाते हैं.
यात्रा के दौरान जम्मू ज़िले के पट्टियां गाँव बनतालाब भी जाना हुआ. भारतीय जनसंचार संस्थान का उत्तरी परिसर इसी गाँव में स्थित है, जो कि हाल ही में बनकर तैयार हुआ है. पहाड़ों के बीच एक विशालतम परिसर की आभा देखने लायक़ है. पढ़ने-लिखने के लिए इससे बेहतर भला और क्या जगह हो सकती है? ये भारतीय वैदिक शिक्षा प्रणाली का एक आधुनिक रूप है. जिसे पुनर्जीवित होते हुए देखकर मन हर्षित हो गया.
कटरा रेलवे और जम्मू तवी रेलवे स्टेशन आधुनिक भारतीय शहरों के प्रमुख बिंदुओं में महत्वपूर्ण योगदान रखते हैं. जम्मू शहर अपने आप में सभी आधुनिक सुविधाओं से संपन्न नगर है, दिन हो या रात हो. घर, दुकान और अन्य सार्वजनिक जगहों को देख कर पहाड़ी और मैदानी भागों के भागौलिक सामंजस्य को समझा जा सकता है, जो शहर की ऐतिहासिकता का भी परिचय देता है.
प्रवास के दौरान मैंने जम्मू से उधमपुर, रियासी ज़िला होते हुए रामबन ज़िला तक सड़क मार्ग से यात्रा की. बीच में पहाड़ ही पहाड़ नज़र आए. रास्ते में ज़िले के मुख्यालय और पुलिस, आर्मी चेक पॉइंट भी खूब मिले. लंबी-लंबी दूरी के टनल भी मिले. पहाड़ों को बीच में से काटकर टनल कैसे बनाया गया होगा! कोई भी सोचकर दंग रह जाएगा. जम्मू डिवीज़न आपस में सड़क मार्ग से अच्छी तरीक़े से जुड़े हुए हैं.
जम्मू को रामबन ज़िले से होते हुए कश्मीर से जोड़ने के लिए बनी पीर-पंजाल सड़क सुरंग और रेल सुरंग अपने-आप में काफ़ी अद्वितीय है, राजमार्ग की सुरंग चालू है. लेकिन सर्दियों में कभी-कभी बंद हो जाती है, जिससे आवागमन प्रभावित होता है. वहीं उधमपुर-बनिहाल के बीच रेलवे का तेज़ी से चल रहा है, इसके पूरा होते ही पूरा जम्मू-श्रीनगर मार्ग रेल-मार्ग द्वारा जुड़ जाएगा.
पुरमंडल, जिसे छोटा काशी भी कहा जाता है. मानसर सरोवर और बाहू का किला प्रमुख दर्शनीय स्थल है. हिल-स्टेशन पटनीटॉप भी जाने लायक़ एक बेहतरीन जगह है. जम्मू मुख्यतः डोगरा बहुल है, मुस्लिम और सिख क्रमश: इसके बाद आते हैं. अधिकांश सिख परिवार पाक अधिकृत कश्मीर के मुज़फ़्फ़राबाद और पुंछ सेक्टर से आए हुए हैं.
जम्मू संभाग में जम्मू, डोडा, कठुआ, रामबन, रियासी, किश्तवार, पुंछ, राजौरी, उधमपुर और सांबा ज़िले आते हैं. लगभग 4 हज़ार साल पुराने इस क्षेत्र को राजा जम्बू लोचन ने बसाया था. जम्मू के राजाओं की सूची में प्रथम नाम राय सूरज देव का आता है. वर्तमान जम्मू एवं कश्मीर के निर्माता के रूप में; महाराजा गुलाब सिंह कर्णधार माने जाते हैं.
- विकास धर द्विवेदी
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