विशेष: युवाओं के लिए 4K मॉडल- अंडर 30


जुलाई, 2024: 4K मॉडल, भारत भ्रमण का एक संक्षिप्त रूप है. जो युवा वर्ग में; “अपना देश जानो और मानो” सिद्धांत को बढ़ावा देता है, जिससे वो देश के समझदार नागरिक बन सकें. क्योंकि बौद्धिक विकास से ही भारत अपनी पूर्व की वैश्विक उपाधि को पुनर्स्थापित कर सकता है. 

किसी भी राष्ट्र के बौद्धिक विकास के लिए ज़रूरी है कि वहाँ पर रहने वाले लोग अपने राष्ट्र से भलीभाँति परिचित हो. इसी संदर्भ में मेरा मानना है कि देश के प्रत्येक युवा को, 30 साल के पहले, 4K की यात्रा अवश्य करनी चाहिए. जिससे वो भारत के भौगोलिक पहलू को समझ सकें. और अपने बचे जीवन के उम्र में उसका राष्ट्र निर्माण में उपयोग कर सकें. 

4K की यात्रा से ना केवल व्यक्ति की जिज्ञासाएँ शांति होगी बल्कि उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा. इससे वो अपने व्यक्तिव निर्माण के साथ परिवार और; प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से समाज, राष्ट्र और विश्व की मंगल कामना में अपना योगदान दे सकते हैं. जो मानतत्व सिद्धांत का भी मुख्य ध्येय है. 

क्या है 4K मॉडल? 

4K मॉडल में कश्मीर (देश का उत्तरी भाग), कन्याकुमारी (देश का दक्षिणी भाग), कच्छ का रण (देश का पश्चिमी भाग) और किबिथू (पूर्वोत्तर भारत का प्रथम गाँव) शामिल है. जो भारत के चारों दिशाओं का प्रतिनिधित्व करता है. इसे भारत भ्रमण का एक छोटा रूप भी कहा जा सकता हैं. जो भारत को जानो और मानो पर केंद्रित है. 

कैसे करें 4K की यात्रा? 

इस मॉडल के वास्तविक आधार पर युवाओं को अपनी उम्र के 30 साल पूरे होने से पहले यात्रा कर लेनी चाहिए. वे अपनी यात्रा सामान्यतः रोज़गार से संपन्न होकर 25 साल से प्रारंभ कर सकते हैं. ये जल्दी ज़रूरी इसलिए भी है कि इससे प्राप्त अनुभवों का जीवन में अधिक-अधिक से उपयोग किया जा सकें. 4K की  अधिकांश यात्रा ट्रेन और रोड के माध्यम से करनी चाहिए. जिससे आम लोगों से ज़्यादा से ज़्यादा जनसम्पर्क स्थापित हो सकें. 

4K मॉडल के कार्यान्वयन में संभावित चुनौतियां

1. समय का अभाव
2. आर्थिक स्थिति
3. आलस का भाव
4. प्राथमिकता ना देना

चुनौतियां का बिंदुवार समाधान

1. हर व्यक्ति का समय महत्वपूर्ण है. वो उसका बेहतर उपयोग करना चाहता है. मैं मानता हूँ कि उसके पास इससे अच्छा समय का सदुपयोग करने का मौक़ा दोबारा नहीं आएगा. बाक़ी जीवन कभी भी पर्याप्त समय नहीं देता है बल्कि किसी कार्य के लिए समय निकालना ही पड़ता है. आप भी समय निकालिये. 

2. मैं ऐसे समय में ये लेख लिख रहा हूँ जब देश के 80 करोड़ से अधिक लोग सरकारी अनाज का लाभ लेते है. ऐसे में यह कुछ लोगों को हास्यजनक भी लग सकता है. लेकिन मेरा मानना है कि अगर कोई भी व्यक्ति 25 साल में; कोई भी रोज़गार प्राप्त कर लेता है. वह आने वाले 5 वर्षों में बड़े आराम के साथ 4K की यात्रा कर सकता है. 

उदाहरण: वर्तमान में 1 मज़दूर की दिहाड़ी कम से कम 200 रुपये प्रतिदिन है, अगर यह व्यक्ति अपनी आमदनी का 10 प्रतिशत भी 4K यात्रा के लिए रखता है तो वह 5 वर्षों में 35 हज़ार रुपया इकट्ठा कर लेगा. इतने रुपयों में वह ट्रेन के ज़रिए आराम से 4K की यात्रा कर सकता हैं. 

इसके अलावा केंद्र सरकार और राज्य सरकारों 4K यात्रा के लिए सब्सिडी प्रदान कर सकती है. ग़ैर-सरकारी संस्थाएं भी समाज के बौद्धिक विकास में नागरिकों की मदद्द कर सकती हैं. 

3. आलस का कोई तोड़ नहीं है, अगर वो भी युवा अपने इस उम्र में; आलस का शिकार रहता है तो इससे बड़ा समाज और राष्ट्र का दुर्भाग्य क्या हो सकता? अपने लिए, अपने परिवार के लिए और विश्वबंधुत्व की मांगल कामना के लिए आपको आलस त्यागना होगा. तभी आपका संपूर्ण विकास संभव है. 

4. भारतीय संविधान में नागरिकों के लिए कुछ कर्तव्य निर्धारित किए गए है. अगर कर्तव्यों की अप्रत्यक्ष रूप से व्याख्या की जाए तो “अपना देश जानो और मानो” का सिद्धांत भी उसमें समाहित है. अगर आपको यात्रा करने में रुचि ना भी हो तो इसे राष्ट्र के कर्त्तव्य के रूप में; 4K की यात्रा अवश्य करनी चाहिए. 

4K की यात्रा इसलिए भी ज़रूरी है कि जब उत्तर में मुसलमानों या कश्मीरी पंडितों से मिले तो कोई पूर्वाग्रह ना हो, जब आप दक्षिण में जाए तो भाषा-संबंधी विवाद ना रहें. जब गुजरात जाए तो ‘किसकी समृद्धि’ की डिबेट में ना पड़े. 

और जब आप पूर्वोत्तर भारत जाए तो आपके मन में नस्लवाद जैसी विभाजनकारी भावना ना रहें. 4K यात्रा का यहीं मुख्य उद्देश्य हैं. जो मानतत्व के सिद्धांत की स्थापना हेतु विश्वबंधुत्व की मंगल कामना करती हैं. 

विकास धर द्विवेदी

(कश्मीर में योजित लेख) 


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