डायरी से: इंडिया टीवी में यात्रा खत्म होने पर लेख


नई दिल्ली, अक्टूबर, 2024:
आज इंडिया टीवी में 770 दिनों की यात्रा का समापन हो गया. किताबी ज्ञान की बातों को राष्ट्रीय मीडिया के एक न्यूज़रूम में समझना काफ़ी रोचक रहा. इस दौरान कई चीजों को सीखने का अवसर मिला. डेस्क पर आउटपुट डिपार्टमेंट में विभिन्न रूपों में काम करके इनपुट डिपार्टमेंट की बेहतर समझ मिली. 

16 अगस्त, 2022 को इंडिया टीवी में एक ट्रेनी के रूप में ज्वॉइन किया था. शुरुवात में प्रोडक्शन के काम की जिम्मेदारी मिली. प्रोडक्शन डिपार्टमेंट में काम करते हुए विजुअल की समझ के साथ, सेंस विकसित करने में मदद मिली. टीवी में विजुअल उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना किसी संचार में संचारक. फोटो, ग्राफ़िक्स का कैसे उपयोग होता है? ये भी समझा. 


टीवी में विजुअल आने के मल्टीपल सोर्स होते है. जैसे- न्यूज़ एजेंसी, रिपोर्टर्स और सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म समेत कई माध्यम शामिल होते है. हर विजुअल के सोर्स महत्वपूर्ण होते है, बिना किसी विजुअल या फोटो के टीवी में सिर्फ़ ब्रेकिंग से ख़बर चलाया जा सकता है वो भी ज़्यादा समय तक नहीं. इन सब में संस्था के आर्काइव डिपार्टमेंट के विज़ुअल भी बड़े महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं. 

मैंने अखबार ज़्यादा पढ़े, टीवी कम देखी. इस वजह से शुरुवात में प्रोडक्शन में विजुअल की सेंस विकसित करने में समय लगा. न्यूज़रूम में काम करने के अलावा, काम में गति की भी उम्मीद की जाती है कि बेहतर और कितने कम समय में काम किया! इस दौरान की प्रक्रिया बड़ी जटिल होती है, सयंम और आपके धैर्य की भी परीक्षा होती रहती हैं. 

न्यूज़रूम में काम करते हुए कभी-कभी रनडाउन पर बैठने का मौक़ा मिला. टिकर (टीवी स्क्रीन के नीचे ब्रेकिंग चलने वाली लाइन) की भी एक अलग कहानी होती. ब्रेकिंग न्यूज़, बिग ब्रेकिंग, कमिंग शो; ये तीन फॉर्मेंट आजकल टिकर के लिए खूब यूज़ होते हैं. इनमें से कब कौन चलेगा? कितनी देर चलेगा? ये सब बहुत कम समय में तय करना होता है. रनडाउन हर घंटे का होता है, इसमें न्यूज़, ब्रेकिंग न्यूज़, शो सहित ब्रेक का टाइम निर्धारित रहता है. और उसी अनुसार कार्य करना पड़ता हैं. 


रनडाउन का सबसे जटिल कार्य सभी डिपार्टमेंट से समन्वय बनाना होता है. असाइनमेंट डिपार्टमेंट, ग्राफ़िक्स डिपार्टमेंट, और PCR, MCR सबसे अधिक महत्वपूर्ण होते हैं. इसके अलावा इनजेस्ट डिपार्टमेंट, प्रोडक्शन डिपार्टमेंट से भी तालमेल जरूरी रहता है. प्रोडूसर और वीडियो एडिटर्स की भी अपनी भूमिका होती है, रनडाउन पर बैठा व्यक्ति इन दोनों से सहयोग के लिए अपेक्षित रहता है. मैंने इन प्रक्रियाओं को समझने का प्रयास किया है. 

मुझे स्पीड न्यूज़ में भी लिखने का मौक़ा मिला. स्पीड न्यूज़ में लिखना एक कला है कि कैसे 10-15 शब्दों में किसी ख़बर का वर्णन किया जाए. उससे भी जटिल कार्य CG भरना होता है, जिसमें टॉप और लोवर में संबंधित ख़बर के लिए टेक्स्ट लिखना होता है, वो भी सीमित शब्दों में. शुरुआती दौर में मुझे ये थोड़ा कठिन लगा लेकिन बाद में पता चला कि ये तो बहुत आसान काम है. निरंतर अभ्यास से किसी भी चीज़ में महारत हासिल की जा सकती है. 

बहरहाल, लिखने को बहुत कुछ है. लेकिन शब्दों की अपनी एक सीमा होती है. इंडिया टीवी में काम करके ना केवल राष्ट्रीय मीडिया की बेहतर समझ बनी है बल्कि व्यक्तित्व निर्माण में दो साल से अधिक का कार्यकाल महत्वपूर्ण रहा है. मैं मैनेजमेंट और अपने सभी सहयोगियों का आभार प्रकट करता हूँ जिन्होंने हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. और हर कार्य में सहयोग दिया है.


विकास धर द्विवेदी 
25/10/2024

टिप्पणियाँ

Vikahdhardrivedi ने कहा…
बहुत सुंदर👌... आपने इतने सरल, सुगम्य और सुव्यवस्थित शब्दावली मे अपने 770 दिन के कार्यकाल का बोधगम्य वर्णन किया... सादर ❤️ आभार....