संविधान दिवस: बैठने का अधिकार


बैठने का अधिकार, कर्मचारियों को काम के दौरान बैठने की अनुमति देने वाला एक अधिकार है। दुकानों और प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों को अक्सर खड़े रहना पड़ता है, जिससे उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। बैठने के अधिकार से इन समस्याओं से राहत मिलेगी।

भारत में सार्वजनिक स्थानों पर ‘बैठने के अधिकार’ को अमलीजामा पहनाने की ज़रूरत है। केरल और तमिलनाडु राज्य में दुकानों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए बैठने के अधिकार से संबंधित क़ानून तो है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे क़ानून की आवश्यकता है। जिससे कि संविधान निर्माताओं के वास्तविक लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके। 

बैठने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 42 (राज्य नीति के निदेशक सिद्धांतों का हिस्सा) के अनुसरण में एक नया कदम है जो राज्य को कार्यस्थल पर न्यायसंगत और मानवीय परिस्थितियाँ प्रदान करने हेतु प्रावधान करने के लिये प्रेरित करता है।

कई देशों में पहले से ही, जैसे कि इंग्लैंड, फ़्रांस, और संयुक्त राज्य अमेरिका, इस तरह के कानून पारित किए गए हैं। इसलिये भारतीय संसद को भी इसका संज्ञान लेकर बैठने के अधिकार को अखिल भारतीय स्तर पर कानून बनाना चाहिये। 


विकास धर द्विवेदी 
26 नवंबर 2024

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