पूर्व प्रवास भाग-4: हायुलियांग, नामसाई होते हुए दिसपुर


दिसंबर, 2024:
पूर्वोत्तर भारत की यात्रा के इस अंतिम चरण में हमने हायुलियांग से डिब्रूगढ़ एयरपोर्ट तक की यात्रा के लिए सड़क मार्ग चुना। अंजॉ जिले की पहाड़ियों और गहरी घाटियों के बीच बसा हायुलियांग, अपनी शांति और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। सुबह की ठंडी हवा और आसपास के हरे-भरे पहाड़ इस सफर को और भी रोमांचक बना रहे थे।

हायुलियांग से निकलते ही सड़कें धीरे-धीरे ऊँचाई से नीचे की ओर उतरने लगीं। पहाड़ी रास्तों से होते हुए, हमारी यात्रा का अगला पड़ाव था वारको। रास्ते में हमें कई छोटे-छोटे गाँव मिले, जहाँ स्थानीय लोग अपनी दिनचर्या में व्यस्त थे। बाँस के घर, खेतों में काम करते किसान, और पहाड़ों के बीच बहती नदियाँ इस क्षेत्र की जीवंतता को दिखा रही थीं।

वारको पहुँचने तक सड़कें अच्छी बनी हुई थीं। यह इलाका अपेक्षाकृत शांत था, लेकिन यहाँ के जंगल और हरियाली ने यात्रा को दिलचस्प बनाए रखा। जगह-जगह पर लघु झरने और पक्षियों की चहचहाहट इस मार्ग की विशेषताएँ थीं।

वारको से आगे बढ़ते हुए, हमारी यात्रा नामसाई जिले में प्रवेश कर चुकी थी। नामसाई जिला, अपनी समृद्ध बौद्ध संस्कृति और चावल के खेतों के लिए जाना जाता है। इस क्षेत्र में गोल्डन पैगोडा (कौन्गमू खम) जैसे बौद्ध स्थल विशेष आकर्षण का केंद्र हैं। हालाँकि, हमारी यात्रा का समय सीमित था, इसलिए हम केवल सड़क किनारे से इसकी झलक भर देख सके।

नामसाई जिले की सड़कें अपेक्षाकृत बेहतर थीं, और यहाँ का वातावरण पूरी तरह से सुकूनभरा था। रास्ते में कई छोटे-छोटे ढाबे मिले, जहाँ हमने रुककर स्थानीय व्यंजनों का आनंद लिया। दाल-भात का स्वाद अब भी यादगार है।

नामसाई से आगे बढ़ते ही ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे का समतल मैदान शुरू हो गया। तिनसुकिया जिला, असम का एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र है। इस जिले में प्रवेश करते ही चाय के बागानों की हरियाली हमारा स्वागत कर रही थी। असम की चाय की महक और यहाँ के अनगिनत बागानों का सौंदर्य अद्वितीय है।


तिनसुकिया से डिब्रूगढ़ एयरपोर्ट तक का रास्ता ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे-किनारे चलता है। डिब्रूगढ़, असम का चाय राजधानी कहलाता है, और यह अपने ऐतिहासिक महत्व और हरे-भरे चाय के बागानों के लिए प्रसिद्ध है। एयरपोर्ट पहुँचते ही यह एहसास हुआ कि पूर्वोत्तर भारत की यह यात्रा केवल एक भौगोलिक दौरा नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और भावनात्मक अनुभव भी थी।

डिब्रूगढ़ एयरपोर्ट पर पूर्वोत्तर की अद्भुत यात्रा का एक चरण पूरा हुआ, लेकिन हमारी यात्रा यहाँ खत्म नहीं हुई। डिब्रूगढ़ से गुवाहाटी की फ्लाइट और वहाँ से असम के राजधानी शहर दिसपुर का भ्रमण, इस यात्रा को और भी यादगार बनाने वाला था।

डिब्रूगढ़ से वापस जाते समय मन में केवल एक ही विचार था—पूर्वोत्तर भारत का हर कोना अनमोल है। इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक धरोहर, और यहाँ के लोगों की आत्मीयता इसे भारत के सबसे खास हिस्सों में से एक बनाती है।

अंत: मैं गुवाहाटी एयरपोर्ट पहुँचा। अगली मंजिल असम की राजधानी दिसपुर था। गुवाहाटी से दिसपुर तक का रास्ता बहुत ही सुंदर और व्यवस्थित है। शहर का ट्रैफिक और हलचल साफ दर्शाता है कि यह क्षेत्र असम की प्रशासनिक और व्यावसायिक धड़कन है।


दिसपुर, असम का एक शांत और छोटा क्षेत्र, वास्तव में राजनीतिक और सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यह शहर अपनी समृद्ध इतिहास, विविध संस्कृति और राजनीतिक महत्व के लिए जाना जाता है। दिसपुर घूमने से असम की विरासत को समझने और इसकी सुंदरता का अनुभव करने का अवसर मिला।


विकास धर द्विवेदी
21 दिसंबर, 2024

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