पश्चिम प्रवास भाग–5: केंद्र शासित प्रदेश- दीव द्वीप एवं सूरत की यात्रा


जुलाई, 2025: दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव एक केंद्र शासित प्रदेश है, दीव द्वीप इसी में आता है। सोमनाथ से दखिन-पूरब में लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर यह स्थित है। सड़क मार्ग से दीव जाते हुए नारियल के पेड़ और समुद्र के किनारे की लहराती अरब सागर की लहरें कदमताल कर रही थी। दीव नगर कभी पुर्तगालियों का क़िला रहा है और अब यह भारत का एक रमणीय पर्यटन स्थल है।

सोमनाथ से दीव के रास्ते में मैंने तालाला, कोडिनार और दिलवाड़ा जैसे नगरों को पार किया। यह क्षेत्र प्राकृतिक रूप से अत्यंत समृद्ध है। रास्ते में गिर के जंगल की आभा दिखाई दे रही थी, कुछ ही दूरी पर गिर राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्र है, हालाँकि वहाँ जाना नहीं हो पाया। 

मैं दीव पहुँचा। यह छोटा-सा द्वीप नगर अपने इतिहास, समुद्र और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। सबसे पहले मैंने दीव किला देखा, जो 16वीं शताब्दी में पुर्तगालियों द्वारा बनाया गया था। क़िले से समुद्र का दृश्य अत्यंत ख़ूबसूरत था, पूरा दीव द्वीप यहाँ से देखा जा सकता है। 


दीव का सेंट पॉल चर्च भी गया। यह पुर्तगाली गोथिक वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है, जिसकी भव्यता और वातावरण ने मन मोह लिया। फिर मैं नागोआ बीच गया, जो दीव का सबसे प्रसिद्ध समुद्र तट है। वहाँ कुछ समय लहरों के साथ बिताया। रास्ते में घोघला बीच और चकली तालाव जैसे स्थल भी देखे, जहाँ स्थानीय जीवन और पर्यटन की झलक भी देखने को मिली। 


मैं आईएनएस खुखरी स्मारक भी गया, ये स्मारक भारतीय नौसेना की वीरता का प्रतीक है। यह विश्व की सबसे दुखद समुद्री युद्ध घटनाओं में से एक है। 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान यह युद्धपोत समुद्र में डूब गया। इसमें सवार सभी नौसेना के 18 अधिकारी और 176 नौसैनिक शहीद हो गए। समुद्र की लहरें हिलोर मार रही थी, मुझे ऐसा लगा की समुद्र भी मानो भारत माता के वीर सपूतों को श्रद्धांजलि दे रहा हो।

इसके अलावा दीव में, मैं सेंट पॉल चर्च, पानीकोटा किला (फोर्टिम-डो-मार), दीव हवाई अड्डा, गंगेश्वर मंदिर, पिथोयावाड़ा मंदिर तथा अन्य स्थल का भ्रमण किया। दीव ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता का धनी है। 


दीव की यात्रा में जब समुद्र की हवा के बीच होका पेड़ों की कतारें लहराती दिखीं, तो यूं लगा मानो अफ्रीका के किसी द्वीप पर आ गया हूँ, जानकारी के लिए बता दूँ कि होका पेड़ भारत में सिर्फ़ दमन और दीव में पाएँ जाते है, वो भी लुप्तप्राय है। यह पेड़ न सिर्फ इस द्वीप की मिट्टी को थामे हैं, बल्कि सैकड़ों साल पहले आए अफ्रीकी समुदाय की जड़ें भी इनमें ही सांस लेती हैं।

दीव हवाई अड्डा पर मेरे साथ एक रोचक घटना घटी, सुरक्षा कर्मियों को आश्चर्य हो रहा था कि इस तरह के नाम वाले लोग इधर बहुत ही कम ही आते है, ये कैसे आया! एक ने पूछ भी लिया, “ पंडित जी आप इधर”। मैंने मुस्कराते हुए कहा कि “पूरा देश अपना है।” 

मैंने दीव हवाई अड्डे से सूरत के लिए उड़ान भरी। उड़ान छोटी थी, पर समुद्र से आकाश और फिर ज़मीन की ओर यह परिवर्तन अद्भुत था। हवाई मार्ग में मैंने दीव द्वीप का पूरा विहंम दृश्य देखा।



सूरत भ्रमण 
गुजरात की औद्योगिक ऊर्जा और आधुनिकता का केंद्र सूरत है। सूरत शहर का देशाटन करते हुए दुमास समुद्र तट गया। यह तट अपनी काली रेत और रात के रहस्यमयी सन्नाटे के लिए जाना जाता है, जहाँ दिन की रौनक के पीछे एक अनकहा डर छिपा है। वहीं सूरत किला शहर के बीचों बीच स्थित एक ऐतिहासिक गवाह है, जिसकी चुप दीवारों में सदियों की कहानियाँ कैद हैं। 

विज्ञान केंद्र के पास में स्थित सरदार पटेल संग्रहालय का स्थल अब बदल गया है, उसे कहीं और स्थानांतरित किया गया है। सूरत का विज्ञान केंद्र, यहाँ बच्चों और बड़ों दोनों के लिए देखने समझने लायक़ बहुत सी चीज़ें हैं। मुझे हनुमान मंदिर और साईं मंदिर शहर देशाटन के दौरान देखने को मिलता। हजीरा और कवास में स्थित कई औद्योगिक स्थलों को देखा। आधुनिक सूरत का प्रतीक वीआर मॉल और जी3 मॉल भी देखा। 


विकास धर द्विवेदी
18 जुलाई 2025 
दीव द्वीप, दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव
सूरत, गुजरात

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