जुलाई, 2025: नर्मदा जिले के केवड़िया में नर्मदा नदी के तट पर स्थित – स्टैच्यू ऑफ यूनिटी – एक शब्दों का समूह नहीं बल्कि राष्ट्र की एकता की प्रतीक है। सूरत से मैंने सड़क मार्ग से नर्मदा जिले के केवड़िया की ओर प्रस्थान किया। दोनों के बीच में लगभग 150 किलोमीटर की दूरी है। रास्ते में किम, भरूच, अंकलेश्वर, राजपिपला जैसे नगरों से गुजरते हुए नर्मदा तट पहुँचा।
केवड़िया — वह स्थान जहाँ भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” स्थित है। इस स्थान पर पहुँचते ही गर्व और श्रद्धा का भाव मन में उमड़ पड़ा। यहाँ देखकर लगा कि मानो लौह पुरुष को लौह तत्वों से यह विराट स्वरूप श्रद्धांजलि दी गई है।
सबसे पहले मैंने सरदार पटेल की 182 मीटर ऊँची प्रतिमा के दर्शन किए। उनको नमन किया। यह केवल एक प्रतिमा नहीं बल्कि भारत की एकता, शक्ति और आत्मबल का प्रतीक है। प्रतिमा के नीचे म्यूज़ियम में ऑडियो-विजुअल गैलरी में सरदार पटेल के जीवन, स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान और रियासतों के एकीकरण की प्रक्रिया को विस्तृत रूप से देखा।
इसके पश्चात मैं व्यूइंग गैलरी गया, जो प्रतिमा के 135 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। वहाँ से नर्मदा नदी, सरदार सरोवर बाँध और आस-पास के पहाड़ी क्षेत्र का विहंगम दृश्य देखने को मिला। इसके पश्चात सरदार सरोवर डैम में नौका विहार किया। यह अनुभव बेहद रोमांचकारी रहा। जल के मध्य नौका से डैम और पर्वतीय दृश्यों को देखना मन को मंत्रमुग्ध कर गया। लौह पुरुष की प्रतिमा हर ओर से दिखाई दे रही थी।
इसके बाद मैं मियावाकी फॉरेस्ट को देखा। यहाँ जैव-विविधता और प्रकृति संरक्षण का अद्भुत उदाहरण देखने को मिला। पेट्स ज़ोन भी देखा। यात्रा में इलेक्ट्रिक किक स्कूटर से भी आनंद मिला। इसके अलावा एकता नर्सरी, विश्व वन, आरोग्य वन, कैक्टस गार्डन, बटरफ्लाई गार्डन, और खलवानी जैसे स्थलों का भी भ्रमण किया। यहाँ पर्यावरण, औषधीय पौधों और जैव विविधता पर खूब जानकारी मिली।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परिसर में स्थित “वैली ऑफ फ्लॉवर्स” – नर्मदा नदी के किनारे रंगबिरंगे फूलों का बग़ीचा जो प्राकृतिक छटा से भरपूर दिख रहा था। ज़रवानी ईको टूरिज़्म में झूलता पुल भी देखा, यहाँ से ज्यादातर पर्यटक नदी राफ़्टिंग पर जाते हैं।
यूनेस्को संरक्षित चंपानेर-पावागढ़ की ऐतिहासिक यात्रा
केवड़िया से चंपानेर-पावागढ़ पुरातात्विक पार्क का दो घंटे का रास्ता है। यह पार्क गुजरात के पंचमहल जिले में स्थित है। लगभग कुछ घंटों की यात्रा के बाद मैं चंपानेर-पावागढ़ पुरातात्विक पार्क पहुँचा। यह स्थान अपने आप में इतिहास का जीवंत दस्तावेज़ है। यहाँ 500 वर्षों से अधिक की कहानी हर पत्थर, हर खंडहर, हर दीवार चीख-चीख कह रही कि मानो मैं ही विरासत हूँ, संस्कृति हूँ, इतिहास हूँ।
पावागढ़ की पहाड़ी पर स्थित यह स्थल प्राचीन मंदिरों, मस्जिदों, बावड़ियों और किलों का अद्भुत संगम है। मैंने प्राचीन कालिका माता मंदिर की ओर देखकर मन ही मन प्रणाम किया, मंदिर पावागढ़ की चोटी पर स्थित है। यहाँ तक पहुँचने के लिए पैदल मार्ग और रोपवे दोनों हैं।
जामा मस्जिद, जिसकी वास्तुकला अद्भुत है, गहरी नक्काशीदार मेहराबें, विशाल गुंबद और बारीक कारीगरी का ये नमूना था। लगभग 500 वर्ष पहले इसी ज़मीन पर राजाओं के कभी दरबार लगे होंगे, जहाँ जीवन की चहल-पहल रही होगी, और जहाँ समय ने धीरे-धीरे अपना रूप बदल दिया। आज सब कुछ खंडहर में तब्दील हो गया।
विकास धर द्विवेदी
19 जुलाई 2025
केवड़िया- गुजरात
पंचमहल जनपद-गुजरात
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